आज़ाद जनतंत्र में सत्तर साल बाद भी वेल्लोर से विरमगाम तक श्मशान भूमि से वंचित हैं दलित

जब दलितों ने सार्वजनिक तालाब से पानी का उपयोग शुरू किया, ऊंची जाति के लोगों ने रफ्ता-रफ्ता इसके प्रयोग को बन्द किया क्योंकि उनका कहना था कि अब पानी अशुद्ध हो गया है। मामला वहीं तक नहीं रुका।

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“एक अश्वेत दास के लिए 4 जुलाई क्या मायने रखती है?” फ्रेडरिक डगलस का ये सवाल आज भी जिंदा है!

डगलस ने हज़ारों दासों की बेड़ियों की बात रखी जो आज़ादी के बावजूद भी आज़ाद नहीं हो पाए थे (अलग-अलग राज्यों ने अपने-अपने अवरोधक कानून बना दिए थे), और उनकी यातनाओं का उल्लेख किया। उनके उत्पीड़न के यथार्थ में अमरीका को उन्होंने मिथ्यावादी और खोखला पाया। दासता अमरीका की बहुचर्चित और अद्वितीय मानी जाने वाली आज़ादी पर एक धब्बे समान थी।

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