छान घोंट के: जवाबदेही मांगने वाली सिविल सोसाइटी की FCRA पर चुप्पी और कार्टेल-संस्कृति

दुनिया के किसी भी देश में परिवर्तनकारी और दीर्घकालीन बदलाव का क्रांतिकारी आन्दोलन केवल विदेशी अंशदान से कभी नहीं खड़ा हुआ है। यह अलग बात है कि जनवादी निर्वात के खात्मे में विदेशी अंशदान का काफी योगदान रहता है।

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बात बोलेगी: ‘लोया हो जाने’ का भय और चुनी हुई चुप्पियों का साम्राज्य

तोड़ भी दीजिए चुप्पी! बोलिए, कहिए, सुनिए, सुनाइए, चिल्लाइए! दोस्तों के बीच, घर में, फोन करते वक़्त, दफ्तर में! और अगर इसका अभ्यास नहीं है तो आईने के सामने खड़े होकर खुद से खुद के लिए बोलिए… देखिएगा, अच्छा लगेगा फिर। हवा चलने लगेगी! रूत, बदलने लगेगी!

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