गाहे-बगाहे: नफ़स न अंजुमने आरज़ू से बाहर खींच

अधिक ईमानदारी से कहा जाय तो प्रशांत भूषण ने उस कॉकस के मर्म पर चोट कर दी जिसे झेलना मुश्किल नहीं नामुमकिन है। और जब झेलना मुम्किन नहीं है तो सजा उन्हें मिलेगी। लेकिन प्रशांत भूषण भी कोई इंसान हैं। उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया।

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“चीफ जस्टिस का मतलब सुप्रीम कोर्ट नहीं होता”: प्रशांत भूषण का ऐतिहासिक और दस्‍तावेज़ी जवाब

लोकतंत्र के क्षरण पर प्रशांत भूषण का यह हलफ़नामा अपने आप में समकालीन राजनीति, समाज और न्‍यायपालिका पर एक गम्‍भीर टिप्‍पणी और दस्‍तावेज़ी प्रतिक्रिया है जिसे पूरा पढ़ा जाना चाहिए। जनपथ के पाठकों के लिए यह हलफ़नामा हम पूरा प्रकाशित कर रहे हैं।

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