यह आम बजट नहीं, औद्योगिक घराना स्पेशल बजट है! मोबाइलवाणी पर ग्राउन्ड से जनता की राय

जब वित्त मंत्री ने बजट का पिटारा खोला तो गरीब और मध्यम वर्ग के चेहरे पर मायूसी छा गई. सरकार ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बजट से 45 फीसदी से ज्यादा कटौती कर ली है.

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अगर हनुमान जी इस देश का बजट बनाते तो कैसा होता?

भारत सरकार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सरकार हवाई यात्रा की दरों को कम करने का लक्ष्य बना रही है और उसका उद्देश्य है कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई जहाज़ से यात्रा करे। लेकिन अभी तक हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति चप्पलें सिलवाकर थक गया लेकिन सरकार का न्यौता नहीं आया हवाई जहाज़ पर चढ़ने का। हनुमान जी के पास तो उनके शरीर में इंस्टाल विमान था और पलक झपकते ही समंदर पार कर जाते, उड़कर संजीवनी ले आते।

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किसानों के लिए यह बजट निराशाजनक है, ऐसा कहना सरकारी कठोरता को कम कर के आंकना होगा

सरकार इस बजट के माध्यम से किसानों को यह संदेश देना चाहती है कि उनके आंदोलन से प्रभावित होकर वह अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव करने वाली नहीं है, बल्कि किसानों के लिए पिछले बजटों में जो थोड़े बहुत प्रावधान किए गए थे उन्हें लेकर भी वह कंजूसी बरतने का दुस्साहस अवश्य करने वाली है।

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बात बोलेगी: एतबार की हद हो चुकी बंधु! चलिए अब ‘ओन’ किया जाए…

2019 के आम चुनाव के समय जब देश के प्रधानमंत्री ने ताल ठोंक कर कहा था कि हां, ‘मैं चौकीदार हूं’ तब लोगों को लगा था कि विपक्ष के नेता की बात का जवाब दिया गया है। आज वही लोग इसे ऐसे समझ रहे हैं कि यह तो स्वीकारोक्ति थी। अब लोग यह समझ रहे हैं कि जब ‘वो’ चौकीदार हैं तो ज़रूर उनका कोई मालिक भी है। मौजूदा किसान आंदोलन ने इस रहस्य को जैसे सुलझा दिया है।

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बजट में अल्पसंख्यकों के मद में 200 करोड़ से ज्यादा की कटौती निराशाजनक: MCC

इस बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट घटा दिया गया है। पिछले वर्ष 2020-21 का बजट 5029 करोड़ रूपये था जबकि इस वर्ष 2021-22 के लिए 4810.77 करोड़ रूपये प्रस्तावित किया है। पिछले साल से मुकाबले 218.23 करोड़ की कमी की गयी है।

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बजट शिक्षा क्षेत्र में घोर असमानता, निजीकरण और बाजारीकरण बढ़ाने वाला है: RTEF

बजट में विगत वर्ष के कुल शिक्षा बजट 99312 करोड़ रुपये के मुक़ाबले सिर्फ 93224 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह पिछले आवंटन की तुलना में 6088 करोड़ रुपये कम है। ये अजीब बात है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 में समग्र शिक्षा अभियान के लिए आवंटित बजट 31050 करोड़ है, जो 2019 -20 के वास्तविक व्यय 32376.52 करोड़ से भी कम है। अगर हम पिछले वर्ष 2020-21 में राष्ट्रीय शिक्षा मिशन (समग्र शिक्षा अभियान और शिक्षक प्रशिक्षण एवं वयस्क शिक्षा) के तहत आवंटन को देखें तो 38860 करोड़ के मुक़ाबले इस बार महज 31300 करोड़ ही आवंटित किए गए हैं।

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बिल गेट्स की भविष्यवाणी के आईने में समझिए बजट 2021-22 में दर्ज “स्वास्थ्य संकट”!

बजट 2021-22 की अच्छी बातों में विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्षेत्रीय रिसर्च सेन्टर खोलने के अलावा चार वायरोलॉजी प्रयोगशालाओं की स्थापना का लक्ष्य है। सरकार ने कहा है कि शुद्ध हवा के लिए विभिन्न योजनाओं पर 22 सौ करोड़ तथा स्वास्थ्य योजनाओं पर 64 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि कई स्तर पर हेल्थ केयर इंस्टिट्यूट की स्थापना की जाएगी। अलग से ‘‘मिशन पोषण 2.0’’ शुरू किया जाएगा।

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बजट ने साबित किया किसान-मजदूर सरकार की अंतिम प्राथमिकता: KSS

बजट ने सरकार के किसानों की आय को दुगना करने के दावे की पोल भी खोल दी है। सरकार ने फिर से एक बार झूठ बोला है कि देश में लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की जा रही है। जबकि गेहूं और धान भी पूरे देश मे समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जा रहा है। 23 कृषि उत्पादों की समर्थन मूल्य पर खरीद की बात बहुत दूर है।

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