छत्तीसगढ़: ‘छोटे मोदी’ का नरम हिन्दुत्व और भोंपू मीडिया असली के सामने हार गया है!

पांच साल पहले भाजपा को ठुकरा कर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया था कि वह भाजपा की सांप्रदायिक-कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों का विकल्प पेश करे, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ‘नरम हिंदुत्व’ की राह पर चलने और आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर स्वामित्व छीनने की ही राह अपनाई।

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बात बोलेगी: संस्कृति के काक-तालीय दर्शन में फंसी राजनीति

ऐसे मौलिक समाधान पेश करने के लिए कायदे से दुनिया को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के प्रति समवेत स्वर में कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहिए, लेकिन हुआ इसके उलट क्योंकि हसदेव अरण्य में बसे आदिवासी भी प्रामाणिक रूप से छत्तीसगढ़ के नागरिक हैं और वे भी इस दिन की महिमा से परिचित होते ही मुख्यमंत्री के आह्वान पर अपने हसदेव जंगल को, उसकी मिट्टी को, उसकी ज़मीन को, उसके जल को और उसमें बसे वन्यजीवों की रक्षा के लिए सौगंध खाते हैं। यह अनुपालन मुख्यमंत्री को बेचैन कर देता है क्योंकि मिट्टी-पूजन के बहाने वो जंगल उजाड़ने का आह्वान कर रहे थे, लेकिन इस जंगल के आदिवासियों ने उनके आह्वान को वाकई सच्चा मान लिया।

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मुआवजा पाये मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने छत्‍तीसगढ़ के CM को कल्‍लूरी पर कार्रवाई के लिए लिखा

विनीत तिवारी सहित छह अन्‍य ने बघेल को लिखे पत्र में कहा है कि झूठे आरोप लगाकर उन्‍हें परेशान करने वाले पुलिस अधिकारियों की गहराई से जांच और कार्यवाही की जानी चाहिए।

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राज्‍य की असफलताओं पर किताब छापने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता ने मांगी CM की ‘गारंटी’!

अनिल गर्ग जल, जंगल और ज़मीन से जुड़े मसलों के प्रामाणिक विशेषज्ञ हैं। वे बैतूल में रहते हैं ओर बरसों से आदिवासियों व किसानों के बीच काम करते आये हैं। उन्‍होंने बीते सत्‍तर साल के दौरान किसानों के साथ हुए अन्‍यायों पर एक प्रामाणिक दस्‍तावेज़ी किताब तैयार की है।

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