कोरोना काल मे डॉक्टरों से लगाकर सरकार तक हर कोई ‘दो गज’ दूरी बनाए रखने को कह रहा है, मगर कानून के मुताबिक दूरी को नापने के लिए ‘गज’ का इस्तेमाल जुर्म है।
विधिक माप अधिनियम 2009 के अनुसार किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा पोस्टर विज्ञापन अथवा दस्तावेज़ में मीट्रिक प्रणाली के अलावा नाप जोख की किसी दूसरी प्रणाली के शब्द का इस्तेमाल कानूनन जुर्म है, जिसके लिए दस हज़ार रुपए का जुर्माना या एक साल तक की सज़ा हो सकती है।
दुनिया भर में दूरी या वज़न को नापने के लिए अलग-अलग इकाइयों का इस्तेमाल होता है। भारत में कानूनन मीट्रिक प्रणाली को अपनाया गया है, जिसमें दूरी को मीटर, किलोमीटर में और वज़न को ग्राम, किलोग्राम और टन में नापा जाता है। मीट्रिक प्रणाली सबसे नई और वैज्ञानिक पद्धति है क्योंकि यह दशमलव पर आधारित है। दूसरी पद्धतियां जिसमें दूरी को फुट, इंच और वज़न को पाउंड में नापा जाता है, वैज्ञानिक गणना के लिए उतनी अच्छी नहीं मानी जाती।
भारत में ब्रिटिश राज के समय के फुट और यार्ड, मुगलों के समय का ‘गज’ अब तक बोलचाल में इस्तेमाल होता है परंतु अधिकारिक दस्तावेजों में इसका इस्तेमाल जुर्म करार दिया गया है। खरीद-फरोख्त या दस्तावेजों में सिर्फ मीटर में ही बात की जा सकती है।
भारत में ऐसा इंच टेप भी नहीं बेचा जा सकता जिसमें इंच के साथ मिलीमीटर और सेंटीमीटर ना दिखाए गए हों। ऐसे दुकानदारों पर मुकदमे कायम हुए हैं।
कुछ समय पहले कैडबरी चॉकलेट बनाने वाली कंपनी पर कर्नाटक के एक व्यक्ति ने मुकदमा दायर कर दिया था। कैडबरी चॉकलेट के विज्ञापन में एक मॉडल अपने पिता की पतलून छोटी करवाने आता है और दर्जी से कहता है इसे चार अंगुल छोटी कर दो। कन्नड़ में अंगुल का मतलब इंच होता है। कैडबरी पर मुकदमा कायम हुआ। कैडबरी के वकील ने सफाई दी कि चॉकलेट लंबाई में नहीं बेची जाती और यह सिर्फ एक विज्ञापन है जिसमें मज़ाहिया अंदाज़ में बात कही गई है मगर अदालत ने उनकी बात नहीं मानी और उन्हें जुर्माना भरना पड़ा।
यह सच है कि विपदा के समय छोटी-मोटी बातों पर ध्यान नहीं जाता इसलिए प्रधानमंत्री से लगाकर कलेक्टर तक सभी लोग इस शब्द का इस्तेमाल करते रहे मगर गलत तो फिर भी गलत ही है।
हमें उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए जिन्होंने इस कानून के तहत जुर्माना भरा, जेल काटी। अब, जबकि सरकार खुद इस तरह के शब्द इस्तेमाल कर रही है तो उन पर क्या बीतती होगी ।