द्रोण मानसिकता या अग्रणी शिक्षा संस्थानों में ऑपरेशन एकलव्य?
आखिर और कितने मासूमों की बली चढ़ेगी ताकि यह जाना जा सके कि मुल्क के अग्रणी शिक्षा संस्थानों में जातिगत एवं समुदाय आधारित भेदभाव बदस्तूर जारी है
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आखिर और कितने मासूमों की बली चढ़ेगी ताकि यह जाना जा सके कि मुल्क के अग्रणी शिक्षा संस्थानों में जातिगत एवं समुदाय आधारित भेदभाव बदस्तूर जारी है
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जितने भी सुविधा के साधन हमने ईजाद किए हैं इस दौरान वे सभी फेल हो गए हैं। पैसे से लेकर मशीनरी तक।
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जरूरत है कि हम ‘पैडमैन’ जैसी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर ताली बजाने को ही अपनी आखिरी जिम्मेदारी न समझ बैठें
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कोरोना संकट में किसानों और उद्यमों के हाथ में नकद पैसा चाहिए। उनका माल बिके और मूल्य तुरंत मिले, इसकी व्यवस्था इस पैकेज में कहीं नहीं नज़र आती।
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हम यह देखने में चूक रहे हैं कि काम बंद नहीं हुआ है. बस अवैतनिक, अदृश्य और घर के भीतर महिलाओं द्वारा पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा काम किया जा रहा है
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जब हरेक राज्य का मुख्यमंत्री दावा कर रहा है कि उसने हालात को बिल्कुल संभाल लिया है, तो स्थिति इतनी बेकाबू क्यों है
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60 दिनों में पर्यावरणीय स्थिति में जो सुधार देखने को मिला है वह 60 वर्षों में किये गये तमाम प्रयासों और जलवायु परिवर्तन के तमाम वैश्विक समझौतों के बावजूद नहीं हो सका था
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जब महामारी से बचाव के उपाय किये जाने थे तब मध्य प्रदेश में सरकार गिराने और बचाने का खेल खेला जा रहा था
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जो दूसरों की नागरिकता के संदिग्ध होने की संभावना और उससे उनके च्युत कर दिए जाने की आशंका पर त्योहार मनाने की सोच रहे थे क्या वे अपने घरों को लौटते इन हजारों-लाखों सड़क पर रेंगते, घिसटते, भूखे प्यासे मजदूरों को इस देश का नागरिक मानते हैं या नहीं?
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बाढ़, भूकम्प, युद्ध, दंगे, आदि आपदाएं हमेशा से कुछ लोगों के लिए अवसर लेकर आती हैं।
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