नारायण गुरु पर विजयन का ‘विवादित’ भाषण और भाजपा की बेचैनी

भाजपा इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। नायर सेवा सोसाइटी (उच्च जाति की संघटन) के साथ भाजपा ने विजयन पर आलोचना शुरू की है। आलोचना के मुद्दे वही पुराने हैं कि “परंपराओं में बदलाव क्यों किया जा रहा है? अन्य धर्मों की परंपराओं पर आलोचना क्यों नहीं की जाती? परंपराओं को ‘दुष्ट’ कहने का उन्हें क्या अधिकार है?”

Read More

हरियाणा कांग्रेस: प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी की लड़ाई में निगम चुनाव खटाई में!

कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व एक तरफ सत्ता से सीधा टकरा रहा है तो प्रदेश में नेतृत्व अपने राजनीतिक वर्चस्व को बनाने में लगा हुआ है जिसके कारण कांग्रेस का एक दशक से अपना आधार प्रदेश में सिमटता जा रहा है। 

Read More

एक और हार! क्या अकाली दल की पंथक राजनीति फिर से अपना गौरव हासिल कर पाएगी?

अब पंजाब के स्थानीय निकाय नगर निगम नगर पंचायत के हुए चुनाव में राज्य की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट उभर आई है। पंजाब में लगभग तीन साल के आम आदमी पार्टी के शासन का प्रभाव किस किस क्षेत्र में किस प्रकार का है इन चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है। साथ ही अकाली दल की एक और बड़ी हार ने पंथक राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।  

Read More

जब देश संविधान दिवस मनाने में व्यस्त था, एक दलित की हत्या कर दी गई…

कल ही भारत में संविधान दिवस मनाया गया। लोग अखबारों में लेख लिख रहे थे- हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में। भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के प्रमुख संविधान की प्रति अपनी चुनावी रैलियों में लहराते हुए बताते हैं कि देश का संविधान खतरे में है! प्रधानमंत्री चुनावी रैलियों में बड़े ही नाटकीय अंदाज में कहते हैं कि “मैं बाबा साहब के संविधान को आंच नहीं आने दूंगा।”

Read More

AMU का शिक्षक संघ और वक़्फ़ की दुश्वारियां

एलीट लोगों का एक हिस्सा पहले ही सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिल चुका है किंतु यही समूह ठीक इसी समय आम अवाम को भाजपा से लड़ते रहने और इस नफरतपूर्ण प्रतिशोधात्मक सरकार द्वारा प्रतिहिंसा झेलने के लिए उकसाता है। ज़ाहिर है इस तरह का रवैया इन मौका परस्त अभिजातों को सत्तारूढ़ पार्टी के समक्ष सौदेबाजी के लिए थोड़ी और सहूलियत प्रदान करता है।  ऐसी दयनीय स्थिति तुरंत कार्रवाई की मांग करती है।

Read More

नरम हिन्दुत्व या ‘सेकुलर’ दलों की लड्डू पॉलिटिक्स?

तिरुपति मंदिर में तैयार हो रहे लड्डुओं में मिलावट पर गुजरात की प्रयोगशाला की जुलाई की एक रिपोर्ट के चुनिंदा अंश हरियाणा आदि राज्यों में हो रहे चुनावों के ऐन पहले सार्वजनिक करने की बेचैनी इस बात की तरफ साफ इशारा कर रही थी कि मामला इतना आसान नहीं है

Read More

हमारी समस्या है नागरिक आज्ञाकारिता ! ‘बुलडोजर न्याय’ के दौर में हावर्ड जिन की याद

आज जब हमारे मुल्क में बुलडोजर (अ)न्याय का सामान्यीकरण हो चला है और संवैधानिक संस्थाएं भी इस मामले में औपचारिक कार्रवाई के आगे कदम नहीं उठाती दिख रही हैं, ऐसे समय में जनमानस को जगाने के लिए, उन्हें प्रेरित करने के लिए वे सभी जो न्याय, अमन और प्रगति के हक़ में हैं, उन्हें नई जमीन तोड़ने की जरूरत है। 

Read More

आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने का मुद्दा क्या सिर्फ चुनावी भ्रम था?

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने बता दिया है कि आरक्षण को खत्म करने और संविधान को बदलने की मंशा रखकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। चुनाव परिणाम ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘निर्णायक’ दलित-पिछड़े ही हैं। इसलिए दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा व उनके हितों की अनदेखी किसी को भी भारी पड़ सकती है।

Read More

दुर्ग में दरार? हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के मायने

मोदी की नैतिक हार को रेखांकित करने वाला यह चुनाव और बाद की यह स्थिति उनके लिए तथा व्यापक संघ-भाजपा परिवार के लिए कई सबक पेश करती है। अब उन्हें यह तय करना है कि वह आत्ममंथन करेंगे या किसी अन्य के माथे दोषारोपण करके इतिश्री कर लेंगे!

Read More

मोदी दशक में हिंदी सिनेमा: सॉफ्ट पावर बना सॉफ्ट टारगेट

सांस्कृतिक वर्चस्व की इस लड़ाई में आज हमारे समाज की तरह बॉलीवुड भी खेमों में बंट गया है। यहां भी हिन्दू-मुस्लिम आम हो चुका है और पूरी इंडस्ट्री जबरदस्त वैचारिक दबाव के दौर से गुजर रही है।

Read More