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आम आदमी पार्टीः दिल्ली की हार ने खड़े किए पंजाब में सवाल
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के पंजाब पर पड़ने वाले प्रभाव पर राजनीतिक विश्लेषकों और पंजाब के कई बुद्धिजीवियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
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दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के पंजाब पर पड़ने वाले प्रभाव पर राजनीतिक विश्लेषकों और पंजाब के कई बुद्धिजीवियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
Read Moreअगर बजट में आम आदमी, किसान, मजदूर, महिला, युवा के लिए कुछ भी नहीं है, तो फिर कारपोरेट मीडिया इतनी उछलकूद क्यों कर रहा है? इसलिए कि इससे भारत के कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाया गया है। मीडिया देश से नहीं, अपने मालिकों से वफादारी निभा रहा है।
Read Moreखनौरी बार्डर पर किसान नेताओं ने एक तरह से इसको अपने प्रयासों की जीत के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन अभी तक अन्य किसान जो आमरण अनशन पर बैठे है उसके बारे में कोई फैसला नहीं किया गया
Read Moreभाजपा इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। नायर सेवा सोसाइटी (उच्च जाति की संघटन) के साथ भाजपा ने विजयन पर आलोचना शुरू की है। आलोचना के मुद्दे वही पुराने हैं कि “परंपराओं में बदलाव क्यों किया जा रहा है? अन्य धर्मों की परंपराओं पर आलोचना क्यों नहीं की जाती? परंपराओं को ‘दुष्ट’ कहने का उन्हें क्या अधिकार है?”
Read Moreकांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व एक तरफ सत्ता से सीधा टकरा रहा है तो प्रदेश में नेतृत्व अपने राजनीतिक वर्चस्व को बनाने में लगा हुआ है जिसके कारण कांग्रेस का एक दशक से अपना आधार प्रदेश में सिमटता जा रहा है।
Read Moreअब पंजाब के स्थानीय निकाय नगर निगम नगर पंचायत के हुए चुनाव में राज्य की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट उभर आई है। पंजाब में लगभग तीन साल के आम आदमी पार्टी के शासन का प्रभाव किस किस क्षेत्र में किस प्रकार का है इन चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है। साथ ही अकाली दल की एक और बड़ी हार ने पंथक राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Read Moreकल ही भारत में संविधान दिवस मनाया गया। लोग अखबारों में लेख लिख रहे थे- हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में। भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के प्रमुख संविधान की प्रति अपनी चुनावी रैलियों में लहराते हुए बताते हैं कि देश का संविधान खतरे में है! प्रधानमंत्री चुनावी रैलियों में बड़े ही नाटकीय अंदाज में कहते हैं कि “मैं बाबा साहब के संविधान को आंच नहीं आने दूंगा।”
Read Moreएलीट लोगों का एक हिस्सा पहले ही सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिल चुका है किंतु यही समूह ठीक इसी समय आम अवाम को भाजपा से लड़ते रहने और इस नफरतपूर्ण प्रतिशोधात्मक सरकार द्वारा प्रतिहिंसा झेलने के लिए उकसाता है। ज़ाहिर है इस तरह का रवैया इन मौका परस्त अभिजातों को सत्तारूढ़ पार्टी के समक्ष सौदेबाजी के लिए थोड़ी और सहूलियत प्रदान करता है। ऐसी दयनीय स्थिति तुरंत कार्रवाई की मांग करती है।
Read Moreतिरुपति मंदिर में तैयार हो रहे लड्डुओं में मिलावट पर गुजरात की प्रयोगशाला की जुलाई की एक रिपोर्ट के चुनिंदा अंश हरियाणा आदि राज्यों में हो रहे चुनावों के ऐन पहले सार्वजनिक करने की बेचैनी इस बात की तरफ साफ इशारा कर रही थी कि मामला इतना आसान नहीं है
Read Moreआज जब हमारे मुल्क में बुलडोजर (अ)न्याय का सामान्यीकरण हो चला है और संवैधानिक संस्थाएं भी इस मामले में औपचारिक कार्रवाई के आगे कदम नहीं उठाती दिख रही हैं, ऐसे समय में जनमानस को जगाने के लिए, उन्हें प्रेरित करने के लिए वे सभी जो न्याय, अमन और प्रगति के हक़ में हैं, उन्हें नई जमीन तोड़ने की जरूरत है।
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