“विभाजन के ख़िलाफ़ एक आमसभा के दौरान जुलाई 1947 में नाथूराम गोडसे ने कहा- ‘गांधी जी कहते हैं कि वह 125 साल जीना चाहते हैं, लेकिन उन्हें हम जीने देंगे तब न?“
आज 2 अक्टूबर, 2020 को पूरा विश्व बापू की 151वीं जयंती मना रहा है। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने जिन्हें राष्ट्रपिता कहा और रवीन्द्रनाथ ठाकुर जिन्हें महात्मा नाम से संबोधित करते थे, उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध सिर्फ़ सिर्फ 78 साल की उम्र में लोगों के बीच गोली मार दी गयी।
आख़िर क्या हुआ ऐसा कि हमारे बीच से ही किसी ने बापू को गोली मार दी?
इसका जवाब गाँधी जी की हत्या में सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने अपनी किताब “गाँधी वध क्यों” में किया था। गोपाल गोडसे ने अपनी पुस्तक के अनुच्छेद में नाथूराम की वसीयत का जिक्र किया है, जिसकी अंतिम पंक्ति है- “अगर सरकार अदालत में दिए मेरे बयान पर से पाबंदी हटा लेती है, ऐसा जब भी हो, मैं तुम्हें उसे प्रकाशित करने के लिए अधिकृत करता हूं.”
गिरफ़्तार होने के बाद गोडसे ने गांधी के पुत्र देवदास गांधी को तब पहचान लिया था जब वे गोडसे से मिलने थाने पहुँचे थे। इस मुलाकात का जिक्र नाथूराम के भाई और सह-अभियुक्त गोपाल गोडसे ने अपनी किताब में बाद में किया।
गाँधी की हत्या के कारणों पर अब तक नाथूराम के अदालती बयान पर केंद्रित इसी पुस्तक को प्रामाणिक माना जाता रहा है। जब देवदास ने नाथूराम से हत्या की वजह पूछी थी तो उसका जवाब था, “केवल और केवल राजनीतिक वजह”।
अब सत्तर साल बाद गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर पाठकों के लिए उपलब्ध राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित अशोक कुमार पांडेय की नयी किताब ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ कई ज्वलंत तथ्यों को सामने लाती है। यह किताब गांधी जयंती के अवसर पर देश के सभी पाठकों के लिए एक उपहार है, जो यह जानना चाहते हैं कि वो क्या कारण थे जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी के कर्णधार को एक साल भी आज़ाद भारत में जीवित नहीं रहने दिया।
अगर वर्तमान में खड़े होकर इतिहास की ओर देखें तो उसके कई पहलू आज बहुत ज्यादा साफ़ दिखायी देने लगे हैं। 30 जनवरी 1948 की वो घटना क्यों घटित हुई, यह किताब उन कारणों की विस्तार से जाँच-पड़ताल करती है।
कपूर आयोग की रिपोर्ट, लाल क़िला में चले मुक़दमे और नाथुराम गोडसे की फाँसी के साथ तमाम उन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं की सूक्ष्मता से पड़ताल करती यह किताब सही तथ्यों को सामने लाने का काम करती है।
यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुए अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उनकी तथ्यपरक पड़ताल करते हुए न केवल उस गहरी साज़िश के अनछुए पहलुओं का पर्दाफ़ाश करती है बल्कि उस वैचारिक षड्यंत्र को भी खोलकर रख देती है जो अंतत: गांधी हत्या का कारण बना।
लेखक अशोक कुमार पांडेय का कहना है, “एक ऐसे समय में जब सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा तक में गांधी, नेहरू और पूरे आज़ादी के आंदोलन को लेकर भ्रामक सूचनाएँ पसरती जा रही हैं, हमारे राष्ट्रीय नायकों को लांछित किया जा रहा है और इसका उपयोग घृणा के प्रसार में हो रहा है, इस किताब के माध्यम से मेरी कोशिश है कि ऐतिहासिक तथ्यों के माध्यम से एक तरफ़ गांधी हत्या के षड्यंत्र के सामाजिक-राजनैतिक स्रोतों की तलाश की जाए और दूसरी तरफ़ सत्य, अहिंसा और साहस में मानवीय मूल्यों की स्थापना के साथ सर्व धर्म समभाव के महत्त्व को रेखांकित किया जाए।“
ऐसे सत्यातीत समय में शायद सत्य को पूरी मज़बूती से कहे जाने की जरूरत है। यों भी तेज़ी से बदलता तथा हाथ से छूटता यह दौर दस साल में हर विषय पर एक नयी किताब की जरूरत सामने ले आता है।
राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी का कहना है कि ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ किताब को लेकर पाठकों में बहुत उत्साह है। किताब आने की ख़बर के बाद से ही पाठक बेसब्री से इसका इंतज़ार कर रहे थे। कल शाम ऑनलाइन बुकिंग शुरू होने के बाद से ही लगातार पाठकों की अच्छी –अच्छी प्रतिक्रियाएँ हमें प्राप्त हो रही हैं। किताब सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। पाठक गांधी के बारे में पढें, भविष्य की इससे सुंदर तस्वीर नहीं हो सकती। गांधी जयंती की हम सभी को शुभकामनाएँ।
आज 2 अक्टूबर को राजकमल प्रकाशन समूह के फ़ेसबुक लाइव कार्यक्रम में दोपहर 1 बजे ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ किताब पर बातचीत में सभी पाठक शामिल हो सकते हैं। लोकार्पण एवं बातचीत सत्र में शामिल वक्ता हैं- इतिहासकार सुधीर चन्द्र, इतिहासकार मृदुला मुखर्जी, प्रोफेसर एवं राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा, लेखक-प्रोफेसर जयप्रकाश कर्दम एवं लेखक अशोक कुमार पांडेय। कार्यक्रम का संचालन थियेटर से जुड़ी कलाकार ऐश्वर्या ठाकुर करेंगी।