बिहार में लगी आग, तो दिल्ली के संपादकों ने छोड़ा धुआं…
पिछले हफ्ते मुखिया की हत्या के बाद उधर बिहार जल रहा था, इधर राष्ट्रीय कहे जाने वाले अखबारों के संपादकों के पश्चिम से धुआं उठ रहा था। यह लेख दिल्ली …
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पिछले हफ्ते मुखिया की हत्या के बाद उधर बिहार जल रहा था, इधर राष्ट्रीय कहे जाने वाले अखबारों के संपादकों के पश्चिम से धुआं उठ रहा था। यह लेख दिल्ली …
Read Moreव्यालोक बिहार में ब्रह्मेश्वर सिंह की हत्या के बाद दो दिनों तक बिहार की पूरी व्यवस्था को कुछ ‘सौ’ गुंडों के हवाले कर तमाशबीन बने नेताओं और प्रशासकों की ज़रा …
Read Moreहेडगेवार के जीवनीकार प्रो. राकेश सिन्हा के लेख का जवाब कवि-पत्रकार रंजीत वर्मा ने भेजा है। उन्होंने अपने जवाब में आवाजाही को लेकर फैले आग्रहों के पीछे की राजनीतिक साजि़श को पकड़ा …
Read Moreप्रो. राकेश सिन्हा ने अपने ब्लॉग और फेसबुक पर आवाजाही के संदर्भ में वामपंथियों के खिलाफ जो लेख लिखा था जिसे हमने बाद में जनपथ पर साभार लगाया, उसका जवाब चंचल …
Read More(पिछले डेढ़ महीने से आवाजाही पर जो बहस चल रही थी, उसमें वाम दायरे के बाहर से पहला संगठित और सक्रिय हस्तक्षेप आया है। मंगलेश डबराल जिस संस्थान के मंच …
Read Moreअवनीश मिश्र मुझे तो अव्वल ये आज तक पता ही नहीं चला कि जनसत्ता छपता क्यों है? और ऐसे क्यों छपता है जैसे मरे हुए का पिंडदान करना है? और …
Read More28 मई, दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर ओम थानवी का प्राप्त पत्र बंधुवर, लिंक भेजने के लिए धन्यवाद. मैंने केवल कटघरे का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि कटघरे की बात …
Read More27 मई के जनसत्ता में छपे ‘अनन्तर’ की प्रतिक्रिया में मेरी लिखी टिप्पणी पर आज सुबह अखबार के संपादक ओम थानवी ने दो पत्र भेजे। दरअसल हुआ ये कि रात में …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव जनसत्ता में 20 अप्रैल को संपादक ओम थानवी ने अपने स्तम्भ ‘अनन्तर’ में जब ‘आवाजाही के हक में’ आधा पन्ना रंगा था, उसी दिन इस लपकी गई बहस …
Read Moreबहुत दिन बाद किसी अखबार में कुछ कायदे का छपा है। आज का जनसत्ता पढि़ए- ओम थानवी के लिए नहीं, आशुतोष भारद्वाज के लिए- ठीक सामने वाले पन्ने पर। नहीं …
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