भूमिहारों का परचा और आइसा की स्‍याही: मुखिया के बहाने एक फ्लैशबैक

व्‍यालोक बिहार में ब्रह्मेश्वर सिंह की हत्या के बाद दो दिनों तक बिहार की पूरी व्यवस्था को कुछ ‘सौ’ गुंडों के हवाले कर तमाशबीन बने नेताओं और प्रशासकों की ज़रा …

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एक ‘ठहरी हुई विचारधारा’ से संवाद की इतनी उतावली क्‍यों राकेश जी?

हेडगेवार के जीवनीकार प्रो. राकेश सिन्‍हा के लेख का जवाब कवि-पत्रकार रंजीत वर्मा ने भेजा है। उन्‍होंने अपने जवाब में आवाजाही को लेकर फैले आग्रहों के पीछे की राजनीतिक साजि़श को पकड़ा …

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साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं…

प्रो. राकेश सिन्‍हा ने अपने ब्‍लॉग और फेसबुक पर आवाजाही के संदर्भ में वामपंथियों के खिलाफ जो लेख लिखा था जिसे हमने बाद में जनपथ पर साभार लगाया, उसका जवाब चंचल …

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अब ज़रा संघ के आइने में देखिए वामपंथी संकीर्णता का अक्‍स!

(पिछले डेढ़ महीने से आवाजाही पर जो बहस चल रही थी, उसमें वाम दायरे के बाहर से पहला संगठित और सक्रिय हस्‍तक्षेप आया है। मंगलेश डबराल जिस संस्‍थान के मंच …

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सम्पादक को मदारी होना चाहिए, बन्दर नहीं

अवनीश मिश्र मुझे तो अव्वल ये आज तक पता ही नहीं चला कि जनसत्ता छपता क्यों है? और ऐसे क्यों छपता है जैसे मरे हुए का पिंडदान करना है? और …

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यह हिंदी की छिछली दुनिया है, छोड़ो, कुछ बेहतर करें: ओम थानवी

28 मई, दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर ओम थानवी का प्राप्‍त पत्र बंधुवर, लिंक भेजने के लिए धन्यवाद. मैंने केवल कटघरे का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि कटघरे की बात …

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मुझे नए कठघरों से परहेज़ नहीं: ओम थानवी

27 मई के जनसत्‍ता में छपे ‘अनन्‍तर’ की प्रतिक्रिया में मेरी लिखी टिप्‍पणी पर आज सुबह अखबार के संपादक ओम थानवी ने दो पत्र भेजे। दरअसल हुआ ये कि रात में …

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अनंतर का लोकतंतर ऐसा ही होता है

अभिषेक श्रीवास्‍तव जनसत्‍ता में 20 अप्रैल को संपादक ओम थानवी ने अपने स्‍तम्‍भ ‘अनन्‍तर’ में जब ‘आवाजाही के हक में’ आधा पन्‍ना रंगा था, उसी दिन इस लपकी गई बहस …

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सावधान! यह आदमी बेहद खतरनाक और छलिया है: रंजीत वर्मा

शिवमंगल सिद्धांतकर ‘बाबा’ के जवाब पर कवि और ‘बाबा’ की पत्रिका के संपादक रहे रंजीत वर्मा ने अपनी टिप्‍पणी भेजी है। यह टिप्‍पणी परत दर परत ‘बाबा’ के जवाब का …

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