मराठवाड़ाः काल तुझ से होड़ है मेरी!

अप्रैल के तीसरे सप्‍ताह में मैं मराठवाड़ा के दौरे पर रहा। वहां जो कुछ देखा, सुना, समझा, वह राष्‍ट्रीय मीडिया में सूखे पर आ रही खबरों से मिलता-जुलता भी था …

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रहने को घर नहीं, सारा जहां हमारा…

सुनील  जहां उद्योग लगते हैं उस इलाके में माल के आवागमन के लिए रोड, बाजार का विकास होता है। एक ऐसा भी उद्योग है जहां सड़क के नाम पर सिर्फ पगंडडी …

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कलकत्ता: जहां डॉन भी बेजुबान है…

दिल्‍ली या मुंबई में कोई भी काट-छांट कलकत्‍ता को पैदा नहीं कर सकती। ठीक वैसे ही कलकत्‍ते में कुछ भी जोड़ने-घटाने से दिल्‍ली या मुंबई की आशंका दूर-दूर तक नज़र नहीं आती।

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