संदेह के महान क्षण में
‘लोकप्रिय’ आंदोलन और मार्क्स का आवाहन अभिषेक श्रीवास्तव लोकप्रियता का मोह इतना तगड़ा होता है कि कल तक इंडिया अगेंस्ट करप्शन नाम का एक ”लोकप्रिय आंदोलन” आज राजनीतिक पार्टी बनने …
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‘लोकप्रिय’ आंदोलन और मार्क्स का आवाहन अभिषेक श्रीवास्तव लोकप्रियता का मोह इतना तगड़ा होता है कि कल तक इंडिया अगेंस्ट करप्शन नाम का एक ”लोकप्रिय आंदोलन” आज राजनीतिक पार्टी बनने …
Read Moreव्यालोक व्यालोक जेएनयू से पढ़े हैं, मीडिया व एनजीओ में दर्जन भर नौकरियां कर के आजकल घर पर स्वाध्याय कर रहे हैं। लंबे समय बाद लिखे इस लेख में धारा …
Read Moreधारा 377 पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर जो चीख-पुकार मच रही है, वह इस लिहाज़ से अविवेकपूर्ण, षडयंत्रकारी और एक हद तक सनक भरी है क्योंकि अव्वल तो …
Read Moreनरेश ज्ञवाली नरेश ज्ञवाली पत्रकार हैं और नेपाली राजनीति पर लगातार लिखते रहे हैं। नेपाल में संविधान सभा के चुनाव संपन्न होने के बाद की स्थिति पर लिखा उनका यह …
Read Moreविष्णु शर्मा नेपाल संविधान सभा चुनाव 2013 के अब तक आए परिणामों से यह बात तय है कि पिछली संविधान सभा की सबसे बड़ी पार्टी एकिकृत कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) को …
Read Moreआनन्द स्वरूप वर्मा / नरेश ज्ञवाली काठमांडो, 21 नवम्बर नेपाल में, जहां राजतन्त्र का विस्थापन कर गणतन्त्र स्थापित हुए महज 5 वर्ष हुए हैं, दो बार संविधान सभा का चुनाव संपन्न हो …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव कौन है ये शख्स? पुराने दिनों की मशहूर फिल्म ”सिलसिला” में एक गीत है जिसके बोल कुछ यूं थे, कि तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो …
Read MoreSubhash Gatade Narendra Modi (NaMo as he is popularly known) wants to usher in ‘Congress free India’. In his maiden speech after being elected as the Election Campaign Chief at the …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव हाल ही में एक बुजुंर्ग पत्रकार मित्र ने मशहूर शायर मीर की लखनऊ यात्रा पर एक किस्सा सुनाया था। हुआ यों कि मीर चारबाग स्टेशन पर उतरे, तो …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव दैनिक जनसत्ता में बीते 15 सितंबर को प्रकाशित रविवारी आवरण कथा ”नियमगिरि के नियम” की यह मूल प्रति है जिसे अखबार को भेजा गया था। मूल लेख में शीर्षक …
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