ये साल कुत्तों के लिए ठीक नहीं चल रहा है। आए दिन उनके हितों के ख़िलाफ फ़ैसले आ रहे हैं। उनके अस्तित्व पर सवाल उठाया जा रहा है। जिसको देखो वही कुत्तों से होने वाले खतरों को गिना रहा है। सब भूल गए कि कुत्तों से मानव समाज में कितना बड़ा योगदान दिया है। उनकी वफादारी के किस्से मनुष्य अपनी बैठकों में सुनाते हैं। कुत्तों की वफादारी के उदाहरण दिए जाते हैं। एक बार इंसान की वफादारी पर शक हो सकता है लेकिन कुत्तों की वफादारी पर बिल्कुल नहीं। लेकिन जब उनका साथ देने की बारी आई तो इंसान अपनी इंसानगीरी पर उतर आया।
कुत्ते इस समय सबसे बुरे दौर से गुज़र रहे हैं। कुछ दिन पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने कुत्तों को पकड़कर कैद करने के आदेश दे डाला। अदालत ने कहा कि देश के सभी कुत्तों को पकड़ा जाए और चार दीवारी में बंद किया जाए। ये खबर आते ही कुत्ता समाज में हलचल मच गई। क्या करें कहाँ जाएँ किससे गुहार लगाएं। बेचारों के पास कोई वकील भी नहीं था। कोई वकील आगे नहीं आया उनकी बात रखने के लिए। कुत्ते इस गम से गुज़र ही रहे थे कि उत्तर प्रदेश से एक और फ़रमान जारी हो गया। इस आदेश ने तो कुत्तों की पूरी नींव ही हिला दी है।
इस आदेश के बाद से मुझे कोई कुत्ता खुश नहीं दिखा। सब उदास होकर कहीं कोने में छिप गए हैं कि ना जाने कब कौन कैसा आदेश जारी कर दे और उनके साथ क्या क्या हो जाए। दरअसल आदेश ऐसा आया है कि अगर कोई कुत्ता किसी इंसान को पहली बार काटेगा तो उसे ‘वार्निंग दी जाएगी’ और उसे पकड़कर 10 दिन ‘जेल’ में डाल दिया जाएगा, उनपर निगरानी रखी जाएगी कि उनका व्यवहार कुत्तों जैसा है या नहीं। और छोड़ने से पहले उनके अंदर एक चिप डाल दी जाएगी। ये एक नई समस्या है। अभी तक तो इंसान ही प्राइवेसी की समस्या से जूझ रहा था। उसका फ़ोन, उसका सोशल मीडिया सब ट्रैक हो रहा है, सब डेटा लीक हो रहा है। कम से कम कुत्ते बेचारे इस प्रकोप से बचे हुए थे। लेकिन अब कुत्तों की प्राइवेसी भी खतरे में आ चुकी है।
खैर! तो जब कुत्ते अपने पहले अपराध की सज़ा काटकर लौटेंगे तो इस चिप से उनकी ट्रैकिंग होगी कि कहीं ऐसी वैसी हरकत तो नहीं कर रहे। और फिर से किसी को काट तो नहीं रहे। और अगर कुत्तों ने दूसरी बार किसी को काटा तो उनको होगी सीधे उम्रकैद की सज़ा।
ये सुनकर तो मेरा ख़ून सूख गया तो बेचारे कुत्तों का क्या हाल हुआ होगा। कुत्तों के दोबारा काटने पर उनको ‘कटखना’ घोषित कर दिया जाएगा और एक जाँच मंडली बैठेगी और इसकी पड़ताल करेगी कि कुत्तों को किसी ने उकसाया या उन्होंने ऐसे ही मज़े मज़े में काट लिया। और अगर कुत्ते दोषी पाए गए तो फिर गए काम से। बाक़ी की पूरी लाइफ जेल में कटेगी। अब बताइए भला एक के बाद एक वज्रपात हुए जा रहा कुत्ता समाज पर। इतिहास में हमने पढ़ा कि मनुष्यों का सबसे पुराना दोस्त कुत्ता ही होता है। लेकिन इंसानों ने अपने सबसे पुराने दोस्त की पीठ में छुरा भोंक दिया।
कुत्तों के काटने पर कौनसी धारा लगेगी ये तो स्पष्ट नहीं है लेकिन अगर इसी हिसाब से इंसानों को उम्रकैद होने लगे तो क्या होगा। आधी आबादी उम्रक़ैद की सज़ा काट रही होगी। इंसानों आए दिन किसी न किसी को काटता रहता है। कोई किसी की जेब काट रहा है तो कोई किसी की मज़दूरी। सरकारें टैक्स काट रही हैं। नेता जनता की उम्मीदें काट रहे हैं। हर कोई किसी ना किसी का कुछ ना कुछ काट ही रहा है। वो भी दो बार नहीं बार बार हज़ार बार। वफ़ादारी का तो ज़माना ही नहीं रहा। एक कुत्ते ही थे जिन्होंने वफ़ादारी नाम की चिड़िया को ज़िंदा रखा था लेकिन इस धोखे के बाद तो वो भी वफ़ादार नहीं बचेंगे।
मेरा सुझाव है कि कुत्तों को मिलकर अपने लिए एक बड़ा वकील तलाशना चाहिए वही उन्हें इंसाफ़ दिला पाएगा। बिना वकील इस देश में किसी की सुनवाई नहीं है गुरु। और तुम तो ठहरे कुत्ते। तुम्हारी लाइफ भी गई और प्राइवेसी भी। कहाँ जा रहे हो किससे मिल रहे हों किस गली में सो रहे हो किसके घर में झांक-ताक कर रहे हो सब रिकॉर्ड होगा ब्रो। “Privacy is a myth”
Dear Dogs, welcome to the world of technology and democracy!