आजकल फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे का बडा हल्ला है, लेकिन दस महीने पहले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गई एक चिट्ठी बताती है कि राफेल सौदा कैसे किया गया, इसमें क्या घपला हो सकता है और इस खबर को क्यों भारतीय मीडिया में दबा दिया गया।
चिट्ठी के जि़क्र से पहले पाकिस्तान के एक पुराने अख़बार फ्रंटियर पोस्ट का जि़क्र ज़रूरी है जिसने 30 जुलाई 2011 को ही इस चिट्ठी के हवाले से अपने यहां खबर छाप दी थी। ये चिट्ठी हमारे देश में चिट्ठियां लिखने के लिए कुख्यात सुब्रमण्यम स्वामी ने मनमोहन सिंह को लिखी थी। भारतीय तकनीकी मूल्यांकन कमेटी द्वारा लड़ाकू विमानों की खरीद में एम-एमआरसीए को छांटे जाने के ठीक दो दिन बाद स्वामी ने ये चिट्ठी लिखी जिसमें प्रधानमंत्री को इस बात से अवगत कराया गया कि राफेल को एम-एमआरसीए पर तरजीह दिए जाने की वजह फ्रेंच राष्ट्रपति की पत्नी कार्ला ब्रूनी और सोनिया गांधी के बीच हुई कई दौर की बातचीत है। दिलचस्प ये है कि इस बातचीत को अंजाम देने में दो विदेशी महिलाओं का हाथ था जो सोनिया गांधी की बहनें हैं।
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स्वामी ने दावा किया कि उनके पास ठोस सबूत इस बात के हैं कि फ्रेंच सरकार के साथ एक समझौता लिखा गया जिसमें फ्रेंच एयरक्राफ्ट राफेल को खरीदने के लिए रिश्वत देने का अनुबंध हुआ। उस दौरान सोनिया गांधी के परिवार के सदस्य फ्रांस के सेंट ट्रोपेज़ में थे। ये जानकारी स्वामी को अपने पूर्व फ्रेंच छात्रों और जानने वालों से मिली। ये समझौता किए जाने के दौरान सोनिया गांधी की दोनों बहनें और बोफोर्स मामले के कुख्यात आरोपी क्वात्रोची भी मौजूद थे, जिसमें तय किया गया कि किसको कितनी रिश्वत दी जानी है।
29 अप्रैल 2011 को लिखी चिट्ठी में स्वामी कहते हैं, ”कार्ला ब्रूनी और सोनिया गांधी के बीच हुई बातचीत के बारे में कुछ विश्वसनीय जानकारी के आधार पर मैं कह सकता हूं कि फ्रांस के साथ लड़ाकू विमानों की खरीद में भारी रिश्वतखोरी पर एक समझौता हुआ है।”
स्वामी की सूचना कितनी भी विश्वसनीय हो, लेकिन सोनिया गांधी को टार्गेट करने का उनका पुराना एजेंडा रहा है, लिहाजा इस चिट्ठी पर आश्चर्य करने की ज़रूरत नहीं। अचरज तब होता है जब भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान पर टिप्पणी करने वाले वरिष्ठ स्तंभकार मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशोक मेहता 11 मई 2011 के दैनिक पायोनियर में कहते हैं, ”भारतीय वायुसेना राफेल को इसलिए नहीं तरजीह देती कि वे उसे चांद लाकर दे रहे हैं। इसके पीछे एक बैक चैनल उच्चस्तरीय इटैलियन कनेक्शन भी है।”
अब या तो अशोक मेहता ने स्वामी की चिट्ठी पढ़ी है या फिर उनके अपने स्रोत हैं। स्वामी सोनिया गांधी का नाम ले लेते हैं, मेहता ”इटैलियन” कनेक्शन बताते हैं। मोटे तौर पर बात एक ही है।
बहरहाल, अशोक मेहता का वह स्तंभ अब वेब पर उपलब्ध नहीं है।
ये बात अलग है कि न तो चिट्ठी और न ही मेहता के स्तंभ के आधार के तौर पर कोई ठोस सबूत दिए गए हैं। लेकिन जिस दिशा में ये मामला जा रहा है, सवाल उठ सकता है कि कहीं राफेल का सौदा दूसरा बोफोर्स तो नहीं बनने जा रहा…
आज दैनिक जनवाणी में पेज 12 पर आपकी यह पोस्ट प्रकाशित है। लिंक देखें http://janwani.in/Details.aspx?id=13918&boxid=11531131&eddate=2/3/2012 बधाई।