स्मृतिशेष: एक नागरिक-कवि का जाना केवल कविता का नुकसान नहीं होता

वह पहला मौका था जब लालबाज़ार में मैंने उस शख्‍स को साक्षात् देखा: एक ऐसा धोती कुर्ताधारी, जिसके भीतर करुणा और दृढ़-निश्‍चय बराबर मात्रा में थे, जो उसे आपत्ति में खड़ा होने को अन्तः प्रेरित करते थे।

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लगातार चलती ‘गरम हवा’ और नब्बे साल के एम. एस. सथ्यू: एक पुनरावलोकन

कलात्मक दृष्टि और सामाजिक अंतर्दृष्टि के साथ गरम हवा ने न केवल कामगार वर्ग की कई प्रमुख वास्तविकताओं की पहचान की, बल्कि यह भी सुझाया कि इन वास्तविकताओं से उत्पन्न समस्याओं का सम्मान और साहस के साथ कैसे सामना किया जा सकता है।

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बासु चटर्जी: एक रचनाकार का अस्तित्ववादी द्वंद्व

फिल्मकार बासु चटर्जी का आज निधन हो गया। कुछ दिन पहले ही नये भारतीय सिनेमा पर विचार करते हुए मूर्धन्य सिने आलोचक विद्यार्थी चटर्जी ने बासु चटर्जी के सिनेमा पर …

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