गाहे-बगाहे: या रब अगर इन कर्दा गुनाहों की सज़ा है
लोग आकुल-व्याकुल हैं। हर जगह असुरक्षित और अधिकतम गरीब हैं। अपने खेतों और घरों पर आए संकटों से लड़ रहे हैं। अपने छूट गए रोजगारों को वापस पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अपनी दुकानों और रिक्शों-ठेलों को फिर से दुरुस्त कर रहे हैं और स्टेट पुलिस को अपने षडयंत्रों को अंजाम देने के लिए उतार चुका है। न्यायाधीश झूठे फैसले दे रहे हैं। वे स्टेट के दबाव में किसी को भी जेल में डालने और बेदखल करने के फैसले लिख रहे हैं। क्या इन सबका उस लड़के की मौत से कोई भी ताल्लुक नहीं?
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