दिल्ली का जाता बसंत और घोड़ों की कब्रें: दो लघु कथाएं
दिल्ली का जाता बसंत आज सुबह “सह विकास” के प्रांगण में बहुत सारे सेमल के फूल जमीन पर बिखरे हुए देखे। घंटी के आकार के फूल अपने सुर्ख-पीले रंग में …
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दिल्ली का जाता बसंत आज सुबह “सह विकास” के प्रांगण में बहुत सारे सेमल के फूल जमीन पर बिखरे हुए देखे। घंटी के आकार के फूल अपने सुर्ख-पीले रंग में …
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सुरंग पार करके जब आप बाहर निकलते हैं तो खुद को एक कम्पाउंड में पाते हैं, जहां बड़े-बड़े पेड़ों और बहुत सी वनस्पति के झुरमुट के बीच चंद रिहाइशी मकान बने हैं. वहां दाखिल होते ही एक पल को आपको लगता है मानो सुंदरबन सरीखे वर्षावन के बीच बसा कोई गाँव हो. अपने आस-पास का नज़ारा देख कर जब आप विस्मय में धीरे-धीरे अपनी पलकें झपका रहे होते हैं तो खुद को जैसे किसी जलडमरूमध्य में पाते हैं.
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