फागुन में गाली के रंग अनेक…

जैसे बोली से पता चलता है कि इंसान सभ्य है या असभ्य, पढ़ा-लिखा है अनपढ़। यह वर्गीय विभाजन गाली में भी है। पढ़ा लिखा शुद्ध भाषा में गाली देगा जबकि बिना पढ़ा-लिखा बेचारा ठेठ देशज अंदाज में गाली देता है।

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