हिन्दी पट्टी के किसान आंदोलनों को कैसे निगल गयी मंडल की राजनीति और उदारीकरण

औपनिवेशिक काल और आजादी के बाद के पांच दशकों तक इन दोनों प्रदेशों में किसान आंदोलन जिंदा रहे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों खासकर 1990 के बाद इन प्रदेशों में किसान आंदोलन के कोमा मे चले जाना एक पूरी प्रक्रिया का परिणाम है।

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