समकालीन राजनीतिक इतिहास पर हज़ार साल बाद एक क्लास में छात्र-रोबो संवाद

यदि रोबोटिक गुरु के स्थान पर कोई जीवित गुरु होता तो इस उत्तर से शायद हताश होता कि एक हजार साल बाद भी भारतीय जनता परिवर्तन के लिए चमत्कारों पर ही उम्मीद लगाए हुए है, लेकिन वह तो रोबोट था, उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। बिल्कुल वैसे ही जैसे आज हम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ते देखकर भी मौन हैं।

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गुना प्रकरण: शोषण और दमन का ऐक्शन रीप्ले

जैसा कि इस तरह के अधिकांश मामलों में होता है सरकार बड़े धीरज और शांति से इस बात की प्रतीक्षा कर रही है कि मीडिया कोई नई सुर्खी ढूंढ ले और बयानबाजी कर रहे विरोधी दल इस मामले से अधिकतम राजनीतिक लाभ लेने के बाद अधिक सनसनीखेज और टिकाऊ मुद्दा तलाश लें

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बुनियादी मुद्दों के एनकाउंटर का दौर

बुनियादी मुद्दों पर चर्चा से बचने के लिए व्यक्तियों को लार्जर दैन लाइफ नायकों और खलनायकों में बदला जा रहा है। विकास दुबे प्रकरण कोई अपवाद नहीं है।

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