कैंसर बढ़ाने वाले कारणों पर बिना रोक लगाये कैसे होगी उसकी रोकथाम?

संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य में दुनिया की सभी सरकारों ने वादा किया है कि कैंसर समेत अन्य असंक्रामक रोगों के दर और मृत्यु दर में 2030 तक 33 प्रतिशत गिरावट और 2025 तक 25 प्रतिशत गिरावट आएगी। भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 भी इन्हीं लक्ष्यों को दोहराती है, पर विभिन्न कैंसर दर हर साल बढ़ते चले जा रहे हैं।

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महामारी से बचने के लिए वैश्विक संधि को मुनाफ़ाख़ोरों से कैसे बचाएं?

यदि प्रभावकारी वैश्विक संधि बनानी है जिससे कि महामारी प्रबंधन कुशलता से हो और आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न ही न हो, तो इस पूरी प्रक्रिया में मानवाधिकार उल्लंघन करने वाले और मुनाफ़ाख़ोरी में लिप्त कम्पनी और व्यक्तियों के हस्तक्षेप पर रोक लगाना ज़रूरी है। पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व ने ज़ोर दिया है कि इस संधि प्रक्रिया में सभी की ‘भागीदारी’ हो जो मुनाफ़ाख़ोरी करने वालों के लिए खुला निमंत्रण है।

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जब HIV पॉज़िटिव लोग सामान्य ज़िंदगी जी सकते हैं तो 2020 में 6.8 लाख लोग एड्स से क्यों मरे?

वैज्ञानिक शोध की देन है कि अनेक एचआइवी संक्रमण से बचाव के तरीक़े भी हमारे पास हैं फिर 2020 में 15 लाख लोग कैसे नए एचआइवी से संक्रमित हो गए? यदि हम एचआइवी नियंत्रण और प्रबंधन में कार्यसाधकता बढ़ाएंगे नहीं तो 2030 तक कैसे दुनिया को एड्स मुक्त करेंगे?

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सामाजिक न्याय और पर्यावरण के लिए जो हितकारी नहीं, वह लक्षद्वीप का ‘विकास’ नहीं

लक्षद्वीप में जो नयी नीतियां सुझायी गयी हैं उनसे मूलत: बड़े उद्योग का ही लाभ होगा. ताज्जुब है कि सरकार क्यों उद्योग हित में जनता के हित को दरकिनार करने पर उतारू है? इन नीतियों से जलवायु परिवर्तन पर किये गये वादों पर भी भारत खरा नहीं उतरेगा, समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा और जलवायु संकट गहराएगा.

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सरकारों ने अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे करने का वादा क्यों किया है

आज संपन्‍न हो रहे छठवें संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का प्रमुख सन्देश यही है कि सरकारें अपने किये वादानुसार अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे को सख्ती से लागू करें जिससे न केवल सड़क दुर्घटनाएं कम हों और सड़क दुर्घटनाओं से मृत्यु दर में गिरावट आये बल्कि अन्य लाभ भी मिलें, जैसे कि सड़क सबके लिए सुरक्षित जगह बने, पर्यावरण लाभान्वित हो और अन्य सतत विकास लक्ष्य की ओर हम सब प्रगति कर सकें।

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तम्बाकू महामारी के अंत के लिए क्यों है ज़रूरी अवैध तम्बाकू व्यापार पर रोक?

चूँकि अवैध व्यापार एक वैश्विक समस्या है इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इससे निबटना ज़रूरी है. 180 देशों से अधिक ने वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को पारित किया है जो कानूनी रूप से बाध्य संधि है (इसका औपचारिक नाम है विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टुबैको कण्ट्रोल). इस संधि के आर्टिकल 15, सरकारों को ताकत देता है कि आपस में मिलकर अवैध व्यापार पर अंकुश लगाया जा सके.

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रेमडिसिविर सहित जीवनरक्षक दवाओं पर अनिवार्य लाइसेंस की सरकार से मांग

अनेक चिकित्सकीय-विशेषज्ञों के संगठन के राष्ट्रीय फोरम (आर्गनाइज्ड मेडिसिन अकादमिक गिल्ड) ने मांग की है कि रेमडिसिविर दवा, जो कुछ कोरोनावायरस रोग से ग्रसित लोगों में असरकारी रही है और जिसकी कीमतें आसमान छू रही हैं, उस पर भारतीय प्रधानमंत्री और सरकार अनिवार्य लाइसेंस ज़ारी करें.

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सड़क सुरक्षा और रफ्तार: स्टॉकहोम घोषणापत्र का एक वर्ष और रॉड किंग के विचार

पिछले साल 19-20 फरवरी 2020 को स्टॉकहोम में दुनिया के सभी देशों के मंत्री के लिए उच्च-स्तरीय बैठक हुई और सड़क सुरक्षा के लिए सबने संयुक्त रूप से एक स्टॉकहोम डिक्लेरेशन (स्टॉकहोम घोषणापत्र) जारी किया. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे हमारे देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी.

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म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए जुट रहा वैश्विक समर्थन

सैन्य शक्तियां म्यांमार में एक लम्बे अरसे से वैश्विक मानवाधिकार पटल कर खरे नहीं उतरी हैं. सैन्य तख्तापलट के बाद भी सेना, मानवाधिकार उल्लंघन जारी रखे हुए है और सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, जनजाति और अन्य समुदाय, धार्मिक समुदाय आदि की लोकतंत्र के लिए उठती आवाजें दबा रही है.

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सुरक्षित सड़क की जो परिभाषा बाज़ार हमें समझाता है वैसी सड़कें सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं

दुनिया में मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से 10वें नंबर पर है सड़क दुर्घटना, जिसके कारणवश 13 लाख से अधिक लोग हर साल मृत होते हैं और 5 करोड़ से अधिक लोग ज़ख़्मी होते हैं, या शारीरिक/ मानसिक विकृति के साथ जीने को मजबूर होते हैं. सार्वजनक आवागमन या परिवहन ज़रूरी है और मौलिक अधिकार है, पर इसकी कीमत हमें अपने हाथ-पैर तुड़वा के या जान गवां के देने की क्या ज़रूरत है?

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