हमारी, आपकी काल-बेला को लिखा है समरेश दा ने
पहली कहानी देश बांग्ला की प्रतिष्ठित पत्रिका देश में छपी। उपन्यास काल बेला के लिए उन्हें 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
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पहली कहानी देश बांग्ला की प्रतिष्ठित पत्रिका देश में छपी। उपन्यास काल बेला के लिए उन्हें 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
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क्यूबा से जाने से पहले चे ने अपने संघर्ष के साथी क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को जो पत्र लिखा, वो उन लोगों के लिए धरोहर है जो इन्सानियत के हक में खड़े हैं या फिर खड़े होने का हौसला बांध रहे हैं।
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पति के निधन के 19 दिन बाद 12 मई को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में अंजलि ने लिखा है: ‘’कोरोना ने नहीं, अस्पताल वालों के क्रूर व्यवहार और लापरवाही ने उन्हें असमय हमसे दूर कर दिया है। मेरे बच्चों ने अपना पिता और मैंने अपने पति को हमेशा के लिए खो दिया है।‘’
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राम की विशालता और करूणा को इससे समझा जा सकता है कि राम ने एक गिद्ध को भी पिता का दर्जा दिया लेकिन बेहिसाब संपत्ति के मालिक मंदिर और मठों में बैठे धर्माधिकारी अपने ही धर्मावलम्बियों के मरने और फिर उन्हें दफनाते हुए देखकर भी बहरे और अंधे बने रहे।
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नंदीग्राम में वाम मोर्चे की प्रत्याशी मिनाक्षी मुखर्जी के सवालों को, उनके चुनाव लड़ने के तरीकों को भले ही मुख्यधारा की मीडिया ने जगह नहीं दी पर जमीन से जुड़ी मिनाक्षी और उसके सवालों ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ रहे दो दिग्गजों को चिंता में डाल दिया।
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भगत सिंह का तीसरे रिश्तेदार वो है, जो शोषणविहीन समाज का सपना देखते हैं। जिन्हें अन्याय पल भर के लिए बर्दाश्त नहीं। अपने समय को जीते हुए हम किसी बड़े परिर्वतन की जरूरत शिद्दत से महसूस तो कर रहे हैं, शोर और नारों की क्षणिक उत्तेजना के बीच भगतसिंह तक नहीं पहुंचा जा सकता। अवसरवाद और मतलबपरस्त राजनीति के उलट-फेर में फंसे हम लोगों के लिए भगत सिंह के विचार रोडमैप की तरह है। इंकलाब से परिवर्तन तक पहुंचने के लिए पहले भगत सिंह को समझना होगा, सीखना होगा।
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सुर और स्वाद में मिठास की ज़मीन है बंगाल। चाहे वो गुरूदेव के गीत और कविताएं हों, हवा सा मुक्त बाउल गीत हो या फिर संथाली गीत-संगीत, सारे के सारे जीवन में मिठास घोलते हैं। इनके छंद-बंद में चाहे जितनी विभिन्नताएं हों पर इनके मूल में मानव प्रेम और मुक्ति की कामना है। मुक्ति- घृणा, नफरत और वैमनस्य से।
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हैरत की बात तो यह है कि स्थानीय प्रशासन भी इस बारे में मौनी बाबा की भूमिका में रहा। वहीं शहर के राजनीतिक दलों और गांधी भक्तों की जुबान को भी लकवा मार गया।
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जर्मनी से शनिवार को वाह्ट्सअप कॉल पर हुई बातचीत के दौरान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की सुपुत्री अनीता बसु ने कहा कि मेरे पिता के लिए देश सबसे बड़ा था।
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रविन्द्र सदन से शुरू हुई उनकी अंतिम यात्रा में चाहने वालों की तीन किलोमीटर लंबी कतार और चिरनिद्रा में लीन सौमित्र दा को अजिक्ता बनर्जी की कविता “तुम एक जीवित नॉस्टल्जिया हो / तुम हारना नहीं जानते फेलूदा” भी उठा नहीं पायी।
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