‘आज’ के दिवंगत निदेशक की पत्नी ने लगायी थी PM से इंसाफ की गुहार, आज तक है जवाब का इंतज़ार


अपने ही समाचारपत्र समूह के निदेशक के असामयिक निधन के पीछे की खबर को गुम करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शोक संदेश छाप कर 100 साल पुराने हिंदी के अखबार “आज” (दैनिक) ने भले ही रस्म अदायगी कर ली हो, पर अपने पति के निधन को चिकित्सीय हत्या करार देते हुए शाश्वत की जीवनसंगिनी अंजलि गुप्त ने प्रधानमंत्री मोदी से दोषी डाक्टरों और निजी अस्पतालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

हिंदी के सबसे पुराने अखबार के निदेशक और संपादक शार्दूल विक्रम गुप्त के बड़े पुत्र शाश्वत विक्रम गुप्त का निधन बीते 23 अप्रैल को इलाज के दौरान हुआ था। शाश्वत आज समाचारपत्र समूह के निदेशक थे। पढ़ने के शौकीन शाश्वत को मूर्तिकला से लगाव था। वे आज अखबार के संस्थापक और राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त के वंशज थे।

उनकी जीवनसंगिनी अंजलि गुप्त ने प्रधानमंत्री के शोक संदेश के जवाब में पत्र लिखकर बनारस की पंगु और असंवेदनशील चिकित्सा व्यवस्था को अपने पति की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधानमंत्री से इंसाफ की मांग की है। पति के साथ बिताये अंतिम 46 घंटों में पति की यंत्रणा, घुटन और लाचारी को अंजलि ने भी जिया है। पति के निधन के 19 दिन बाद 12 मई को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में अंजलि ने लिखा है: ‘’कोरोना ने नहीं, अस्पताल वालों के क्रूर व्यवहार और लापरवाही ने उन्हें असमय हमसे दूर कर दिया है। मेरे बच्चों ने अपना पिता और मैंने अपने पति को हमेशा के लिए खो दिया है।‘’

अपने पति के साथ बिताये अंजलि के अंतिम 46 घंटों  की यातना बनारस के निजी अस्पतालों के चेहरों को बेनकाब करती है। अपने पत्र में अंजलि ने लिखा है: ‘’जब हम पढ़े-लिखों के साथ ऐसा सलूक किया गया तो मुझे पता नहीं आर्थिक तौर पर कमजोर, गरीब और अशिक्षितों के साथ क्या होता होगा। उनकी जिंदगी तो व्यवस्था की दया पर निर्भर है।‘’

मेरे पति को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। हमने कई अस्पतालों से सम्पर्क किया लेकिन उन अस्पतालों के लिए उनकी तकलीफ़ से ज्यादा कोविड टेस्ट की रिपोर्ट जरूरी थी। मैंने कहा आप टेस्ट कर लें, इस पर सबने हाथ खड़े कर दिए। उन्हें किसी तरह भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव के कहने पर सिगरा स्थित बनारस मेडीसिटी अस्पताल में भर्ती कराया। बाद में मुझसे कहा गया आप अपने मरीज को एअर एंबुलेंस से ले जाने वाली हैं जबकि हमने ऐसी कोई बात अस्पताल के किसी भी डॉक्टर या कर्मचारी को नहीं कही थी। बाद में पता चला कि विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने भर्ती के दौरान अस्पताल के डॉक्टरों से झूठ बोला था।

अंजलि ने नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में लिखा है:

बनारस मेडीसिटी अस्पताल से लेकर हेरि‍टेज अस्पताल तक लगातार इलाज के नाम पर खिलवाड़ होता रहा। भर्ती के समय डॉ. अरविंद ने सीटी स्कैन की रिपोर्ट देखकर कहा था दो-तीन दिन में वो ठीक हो जाएंगे लेकिन बाद में कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आया। मेरे पति का ऑक्सीजन लेवेल कम हो रहा था, बार-बार कहने पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। रात में तीन घंटे के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई को बंद कर दिया गया। मुझसे एक फॉर्म पर हस्ताक्षर लिए गये कि अगर मरीज को कुछ हो जाता है तो इसके लिए डॉक्टर या स्टाफ जिम्मेदार नहीं होंगे। इसी बीच डॉ. पांड्या ने मुझसे कहा कि डीएम का आदेश है सभी मरीज अस्पताल खाली कर दें। अस्पताल वाले बिल बनाते रहे, हमसे उन चीजों के भी पैसे लिए गये जिसका हमने इस्तेमाल तक नहीं किया। मैंने उन्हें ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की जो समय से नहीं मिल सका। शिफ्ट करते वक्त स्ट्रेचर पर लेटे मेरे पति को जो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया उसमें ऑक्सीजन नहीं थी। मेरे पति की हालत बिगड़ती रही। यही हाल हेरि‍टेज अस्पताल का भी था। वहां मेरे पति को आइसीयू में एडमिट किया गया। इलाज की लचर स्थिति देख मैंने कहा मैं उन्हें ले जाना चाहती हूं तो मुझसे कहा गया कि आपके कहने पर हम ऐसा नहीं कर सकते और फिर अस्पताल तब तक इंतजार करता रहा जब तक मेरे पति की सांस नहीं थम गयी। आपका कहना है कि हमारे स्वास्थ्यकर्मी आपदा के हीरो हैं! मेरा मानना है कि हीरो हर एक परिस्थिति में हमें बचाते हैं, हमारी सुरक्षा करते हैं, पर इन लोगों ने तो मेरे पति को ही मार डाला। अगर इन लोगों ने संवेदनापूर्वक मेरे पति को देखा होता तो वो आज हमारे साथ होते।

अंजलि गुप्त, ‘आज’ दैनिक के दिवंगत निदेशक की पत्नी
अंजलि गुप्त के पत्र का स्क्रीन शॉट

अंजलि ने प्रधानमंत्री को लिखा है: ‘’ये सिर्फ मेरी कहानी नहीं, मेरे जैसे बहुतों ने अपनों को खोया है। हमने अपना विश्वास आपकी क्षमता में जताया कि आप बेहतर नेतृत्व देंगे, हमने आपको वोट दिया लेकिन आपने हमारे विश्वास को नहीं रखा। मुझे उम्मीद है कि मुझे न्याय दिलाने में आप मेरी मदद करेंगे। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप इस बारे में कुछ करेंगे। न्याय के लिए मेरी इस लड़ाई में मेरी ही नहीं उस हर एक की मदद करेंगे जिनके साथ मुझ जैसा ही कुछ हुआ है।‘’

प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में अंजलि ने डॉ. अरविंद, डॉ. पांड्या (बनारस मेडीसिटी अस्पताल), डॉ. सिद्धार्थ रॉय (हेरीटेज अस्पताल) और उनके कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत करते हुए उनके गैर जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

प्रधानमंत्री के साथ-साथ सूबे के मुख्यमंत्री को भी अपनी आपबीती लिख कर भेजने वाली अंजलि को अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है, फिर भी वो न्याय का इंतजार कर रही हैं।



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