तिर्यक आसान: जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले! या या या…


स्कूल (इंग्लिश) की एडमिशन फॉर्म जमा करने वाली खिड़की पर खड़ा था। पीछे कोई नहीं था। आगे भी कोई नहीं था। तभी पीछे से किसी ने फॉर्म के बारे में पूछा। पलटकर मैंने बताया- “आज जमा करने का अंतिम दिन है। फॉर्म मिलना पहले ही बंद हो गया है। अभी भी फॉर्म प्राप्त करने का एक उपाय है।“

जिसने पूछा था, वो चुप रहा। उसके पीछे खड़े आदमी ने उसके कंधे पर अपना सिर रख मुँह चलाया- Yaa…। किटकिटी। ऊपर से अंग्रेजी। मैं बर्फ़ हो गया- इससे अंग्रेजी में बात करनी होगी। ये सोचने के बाद तापमान बढ़ गया। बर्फ पिघलने लगी। पसीना छूटने लगा। भारत में अंग्रेजी के ब्रह्म शशि थरूर का स्मरण किया, और बोल दी अंग्रेजी- जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले। उसने कहा- Yaa Yaa…। जिस कंधे पर सवार होकर वो Yaa Yaa कर रहा था, उसने कहा- “ठीक है। मैं किसी और से पूछ लेता हूँ। वे दोनों दूसरी खिड़की पर चले गए।“

अपना काम निपटा मैं उनके पीछे लग गया। पीछे लगने से पहले देसी बॉन्‍ड अजीत डोभाल का स्मरण किया। पीछे ऐसे लगा कि उन दोनों को पता न चले कि उन पर कोई नज़र रख रहा है। जिस खिड़की पर वे खड़े थे, उस पर भी कंधा पूछता। उस पर रखा सिर Yaa Yaa करता।

मैंने गलत किया। उनका पीछा करना मेरा काम नहीं है। लेकिन मैंने गलत क्या किया? ‘ट्रेंड’ तो यही चल रहा है कि जिसे जो काम करना है, उस काम को छोड़ बाकी सब काम कर रहा है। अजीत डोभाल और उन्हें अपनी आँख, कान और हाँ, उन्हें अपनी नाक मानने वाली एजेंसियाँ भी ट्रेंड सेट कर रही हैं। पुलवामा में तीन सौ किलो आरडीएक्स आ गया, हमले के ‘इनपुट’ के बाद भी जवानों को एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया, सड़क मार्ग से चेकपोस्ट किसके आदेश पर हटाये गए, इसकी जाँच करने की जगह आंदोलन को चंदा कौन दे रहा है, की जाँच करती हैं। ये अपने ‘लेवल’ का काम नहीं कर रही हैं।

ये ट्रेंड प्रधानमंत्री ने सेट किया है। प्रधानमंत्री अपने लेवल का कार्य नहीं कर रहे हैं, तो प्रधानमंत्री के सभी ‘फॉलोवर’ उन्हें फॉलो कर रहे हैं। कुछ को प्रधानमंत्री भी फॉलो करते हैं, जब प्रधानमंत्री को लगता है कि ये नया ट्रेंड सेट कर सकता है। हमारे मंत्रिमंडल का कोहिनूर बन सकता है।

किसानों के आंदोलन के लिए फंड कौन दे रहा है, इसका पता लगा लिया गया है। किसानों को फंड धरती दे रही है। किसान धरती को एक बीज देते हैं। धरती ब्याज के पता नहीं किस नियम से किसानों को एक के बदले सैकड़ों वापस करती है।

धरती के ब्याज का नियम समझने के लिए सरकार के कोहिनूर अर्थशास्त्री वापस विदेश चले गए। एक हैं, जो प्याज लहसुन खाती ही नहीं, तो वे इस बारे में सोचती भी नहीं।

फंडिंग के स्रोत का पता चलने के बाद, हो सकता है अजीत डोभाल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दें- किसानों को फंड धरती दे रही है। हलफनामे के आधार पर सुप्रीम कोर्ट धरती को अदालत में हाजिर होने की तारीख मुकर्रर कर दे। दो-तीन तारीखों पर हाजिर न होने पर अदालत अपनी अवमानना मान धरती की कुर्की का आदेश सुना दे।

कुर्की तो निरंतर हो रही है। जल, जमीन, पहाड़, हवा, आकाश, पाताल (जो स्वर्ग और नर्क में भरोसा रखते हों, वे स्वर्ग और नर्क भी जोड़ लें) पूँजीपतियों को दे दिया गया है- लो मालिक! जितनी चाहे, उतनी कुर्की कर लो। देश के कंधे पर अपना सिर रख कर वे विकास का बुलडोजर चला रहे हैं। सरकार, पूँजीपतियों की सीईओ, और सीईओ के प्रवक्ता देश को समझा रहे हैं- जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले। जिन्हें कुर्की विकास के लिए अनिवार्य लग रही है, वे Yaa Yaa कर रहे हैं।

राष्ट्रवाद के कंधे पर अपना सिर रख सरकार सीएए, एनआरसी समझा रही थी- जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले। जिन्हें समझ में आ रहा था, वे Yaa Yaa कर रहे थे। जिन्हें समझ में नहीं आ रहा था, वे सरकार की भाषा पर संदेह जता रहे थे। शंका करने वालों को Yaa Yaa करने वाले समझाने पहुँच गए। बंदूक दिखाकर प्रेम से समझाने लगे- समझना बहुत ही आसान है। सिर्फ Yaa Yaa ही तो करना है।

राम के कंधे पर अपना सिर रख मुँह चलाने वाले ‘बहुरूपिये’ राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा ‘वसूल’ रहे हैं। कुछ बहुरूपिये पकड़ लिए जा रहे हैं। कुछ के हाथ इतने लम्बे हैं कि उन्हें पकड़ने से कानून ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। कॉलर पकड़कर प्रेम से चंदा वसूल रहे हैं- “जै श्री राम। एक हजार निकालो।” “जो देना था, वो ट्रस्ट के खाते में जमा कर दिया।” “जै श्री राम। हम भौतिक सत्यापन के लिए आये हैं। बिना लिए, जाएंगे नहीं। जै श्री राम।” दे दो भई। हिंदू हो तो क्या तुम्हारी ‘लिंचिंग’ नहीं होगी? लिंचिंग ‘लांचिंग पैड’ है। ‘फॉलोड बाय पीएम योजना’ की।

ट्रस्ट में चंदा जमा कर चुके हैं, तब भी उन्हें वसूली दे दीजिए। पूँजी का चरित्र ही ऐसा होता है।

छल, कपट, प्रपंच की प्रबलता से भाग्य का निर्माण होता है। यही प्रबलता ‘रिच’ बनाती है। धन के भाग्य में छल, कपट, प्रपंच की तिजोरी में जाना लिखा है।

राम के कंधे पर सिर रख कर बोलने वाले बहुरूपियों को समझाने की कोशिश बिल्कुल मत करिएगा- जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले। वे Yaa Yaa नहीं करेंगे। आप माई बाप माई बाप, मी लॉर्ड मी लॉर्ड करने लगेंगे।



About विभांशु केशव

View all posts by विभांशु केशव →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *