UP में किसान आंदोलन के समर्थकों पर राजकीय दमन के खिलाफ ICWI ने शुरू की ऑनलाइन पिटीशन


दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के साथ खड़े होने वालों की आवाज़ों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किस तरह दबाया जा रहा है, इसको लेकर इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल ने पेटिशन जारी किया है। अब तक भारत, अमेरिका और यूरोप से करीब 100 लोगों ने इस पर दस्तखत किए हैं।

इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल अमेरिका से चलने वाला एक सदस्‍यता आधारित अभियान समूह है जो नागरिक अधिकारों की निगरानी करता है और राजनीतिक ताकतों पर अपनी नज़र रखता है, जो भारत और अमेरिका में वर्चस्‍ववादी और शोषणकारी राजनीति को बढ़ावा देते हैं।

मौजूदा पिटीशन में इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल ने कुल पांच मांगें रखी हैं:

  • तीनों कृषि सुधार कानूनों को पूरी तरह वापस लेना
  • भारत की सरकारें और प्रशासन नागरिकों के किसान आंदोलन के साथ खड़े होने और सरकारों से मांग उठाने के अधिकारों का संरक्षण करें
  • उत्‍तर प्रदेश सरकार ऋचा सिंह को तत्‍काल नज़रबंदी से रिहा करे और उन्‍हें चिकित्‍सीय उपचार के साथ बाहर जाने की आज़ादी दे
  • उत्‍तर प्रदेश सरकार ऋचा सिंह की नागरिक स्‍वतंत्रता और चिकित्‍सा में बाधा डालने के बदले मुआवजा दे और सफाई दे
  • गुंडा एक्‍ट के तहत किसान नेता रामजनम को मिला नोटिस उत्‍तर प्रदेश सरकार तत्‍काल वापस ले

पिटीशन देखने के लिए इस लिंक पर जाएं। उत्‍तर प्रदेश में किसान आंदोलन के समर्थकों पर किये गये दमन की खबर नीचे पढ़ें:


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

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