उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में नामजद आरोपी तीन विधायकों सहित भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए याचिका दायर की है। आरोपियों में बीजेपी विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव के अलावा हिंदूवादी भाजपा नेता साध्वी प्राची का भी नाम शामिल है।
द इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, सरकारी वकील राजीव शर्मा ने बताया कि इस मामले में केस वापसी के लिए सरकार की तरफ से मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने फिलहाल इस पर सुनवाई नहीं की है।
इन सभी बीजेपी नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और कई सम्पत्ति नष्ट करने का आरोप है। इन सभी के खिलाफ शिखेड़ा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव से ही दंगे की शुरुआत हुई थी जिसमें सचिन, गौरव और शाहनवाज के बीच हुआ झगड़ा दंगों की आग में बदल गया। आरोप है कि कवाल गांव में सचिन और गौरव से शाहनवाज की किसी बात को लेकर कहा सुनी हुई जिसके बाद शाहनवाज कुरैशी की हत्या हो गई। फिर शाहनवाज की हत्या को लेकर कवाल गांव के लोगों द्वारा सचिन और गौरव की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
इसके बाद शीखेड़ा थाना इंचार्ज चरण सिंह यादव द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में तीनों बीजेपी विधायकों संगीत सोम, कपिल देव अग्रवाल, सुरेश राणा, साध्वी प्राची और दूसरे लोगों पर भड़काऊ भाषण देकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप लगा था।
7 सितंबर 2013 को नगला मंदोर गांव इंटर कॉलेज में जाटों द्वारा महापंचायत बुलाई गई थी। इस पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में दंगे शुरू हुए और पूरे मामले को धार्मिक रंग देना शुरू कर दिया गया। मुजफ्फरनगर दंगे में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 50,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे। जिसके बाद इस दंगे के बाद कुल 510 आपराधिक मामले दर्ज किए गए और 175 में आरोप पत्र दायर किए गए. बाकी में, पुलिस ने या तो क्लोजर रिपोर्ट दायर की है या मामले को उजागर किया है।