सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा में उत्तर प्रदेश सरकार की भूमि पर बसे 64 परिवारों की बेदखली के मामले में समाजवादी पार्टी ने भाजपा एमएलसी केदार नाथ सिंह के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। जिलाध्यक्ष विजय यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को बहुअरा के बेदखल होने वाले ग्रामीणों के साथ जिलाधिकारी से मिला और सरकारी भूमि पर दशकों से रह रहे भूमिहीन ग्रामीणों को किसी भी कीमत पर उजाड़े नहीं जाने से संबंधित ज्ञापन उन्हें सौंपा। जिलाधिकारी से मिलने से पहले ग्रामीणों समेत सपा नेताओं ने उनके कार्यालय के बाहर सांकेतिक प्रदर्शन कर एमएलसी केदार नाथ सिंह के खिलाफ विरोध भी दर्ज कराया।
समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि विवादित बस्ती में गरीबों के करीब 25 आवास प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत बने हैं। करीब 60 लोगों के घर ग्राम पंचायत की ओर से स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय बनवाया गया है। जिलाध्यक्ष विजय यादव ने कहा कि बहुअरा के विवादित बस्ती के 64 परिवारों में करीब 400 लोग निवास करते हैं। उन्होंने प्रशासन और सरकार से सवाल किया कि अगर वह जमीन राज्य सरकार की थी तो कैसे उस जगह पर आवास, शौचालय, सड़क, सीसी रोड, और बिजली का कार्य किया गया? इसकी जांच होनी चाहिए। उनका कहना है कि अगर बाप-दादा के समय से रह रहे ग्रामीणों को उजाड़ा जाएगा तो वे कहां जाएंगे? उन्होंने कहा कि बस्ती में कोल, चमार, यादव, कुशवाहा, पेटल, विश्वकर्मा, बियार, बिन्द और मुसलमानों के साथ सभी जातियां रहती हैं। ग्रामीणों समेत समाजवादी पार्टी ने सरकार और जिला प्रशासन से उन्हें नहीं उजाड़ने का अनुरोध किया।
ज्ञापन देने वालों में सपा जिलाध्यक्ष विजय यादव, घोरावल विधानसभा के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे, जिला महासचिव सईद कुरैशी, जिला उपाध्यक्ष रमेश सिंह यादव, अशोक पटेल, अनिल यादव, राजेश यादव, अमरजीत यादव, सुदामी, रेशमा, मुन्नी, श्रीदेवी, रमाशंकर मौर्य, नईम, निर्मला, निर्मल, अशोक मौर्य, इस्तिखार, राजेंद्र, अभिषेक यादव शामिल रहे।
बता दें कि ग्राम पंचायत बहुअरा में वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग (एसएच5ए) से सटी उत्तर प्रदेश सरकार (एन.जेड.ए) की करीब 15 बीघा भूमि है। इसके करीब 11 बीघा रकबे में 64 परिवारों की घनी बस्ती बसी शेष है। शेष भूमि परती है। इस 15 बीघा भूमि का प्रबंधन मीरजापुर नहर प्रखंड के पास है। वाराणसी (स्नातक खण्ड) विधान परिषद के सदस्य और भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक केदार नाथ सिंह ने गत 18 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस 15 बीघा भूमि को खाली कराने का अनुरोध किया था। इसके लिए उन्होंने पत्र में बाहर से आकर मुस्लिम समुदाय द्वारा अतिक्रमण करने की बात का हवाला दिया था।
उनके पत्र पर सोनभद्र प्रशासन ने मामले की जांच कराई जिमसें विवादित भूमि पर 64 परिवारों की घनी बस्ती होने की बात जांच रिपोर्ट में आई। बाद में मीरजापुर नहर प्रखंड के जिलेदार (द्वितीय) ने कोरोना संकट के दौर में गत 19 जून को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था। ग्रामीणों ने गत 26 जून को अपना जवाब जिलेदार (द्वितीय) को भेज दिया था। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन मिर्जापुर नहर प्रखंड ने उनके दावे को खारिज कर दिया है और उनकी बेदखली का आदेश प्राप्त करने के लिए उप-जिला मजिस्ट्रेट (SDM) के पास जाने की तैयारी कर रहा है।
‘वनांचल एक्सप्रेस’ ने इस मुद्दे पर पिछले दिनों एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद वाराणसी (स्नातक खण्ड) विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह ने मीरजापुर नहर प्रखण्ड की ओर से जारी नोटिस को वापस लेने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने भाजपा एमएलसी केदार नाथ सिंह के विधायक निधि से बेटे और बहू को लाभ पहुंचाने के आरोप की जांच कराने की मांग भी की थी। वहीं, वाराणसी स्थित मानवाधिकार जन निगरानी समिति के संयोजक लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र भेजकर मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल गत 21 अगस्त को बहुअरा स्थित विवादित स्थल पहुंचकर ग्रामीणों से जानकारी ली थी।