उत्तर प्रदेश कांग्रेस में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम का मानना है कि मुख्यधारा की राजनीति में नेताओं ने जेल जाना बंद कर दिया है, इस वजह से बुनियादी बदलाव की राजनीति मुश्किल होती जा रही है।
आज 17 दिन की जेल के बाद ज़मानत पर रिहा होकर बाहर आये युवा नेता शाहनवाज़ का लखनऊ के जिला कारागार के बाहर उनका पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, नेता दिनेश सिंह सहित अन्य नेताओं ने फूल माला से स्वागत किया। इस मौके पर उन्होंने फोन पर जनपथ से बात करते हुए राजनीति में जेल जाने के महत्व पर प्रकाश डाला।
आलम पूछते हैं, “बताइए, पिछले कुछ वर्षों में आपने किन नेताओं को संघर्ष करते हुए जनता के मुद्दों पर जेल जाते देखा है?” वे कहते हैं कि नेताओं के जेल जाने से बहुत कुछ बदलता है। मसलन, वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का उदाहरण देते हैं।
आलम कहते हैं, “अध्यक्ष जी महीने भर के लिए जेल गये थे। वहां उनके जाने के चलते सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो गयीं। कैदियों को समय से भोजन मिलने लगा।”
शाहनवाज़ आलम को दिसम्बर में हुए सीएए विरोधी आंदोलन से जुड़ी एक एफआइआर में नाम होने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी अपने आप में चौंकाने वाली थी क्योंकि जिस दिन लखनऊ में सीएए विरोधी आंदोलन हुआ था, पुलिस ने अजय कुमार लल्लू और आलम दोनों को ही हिरासत में लेकर दिन भर थाने में रखा था। अगर गिरफ्तारी के लिए ठोस आधार था तो उन्हें छह महीने बाहर क्यों रहने दिया गया, तभी क्यों नहीं गिरफ्तार कर लिया गया यह सवाल आलम की गिरफ्तारी के बाद उठे थे।
एक महीने के भीतर जनता से जुड़े मुद्दों पर यूपी कांग्रेस के इन दो युवा नेताओं की गिरफ्तारी ने कांग्रेस पार्टी को प्रकाश में ला दिया है। खासकर शाहनवाज़ आलम ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरीके से मुसलमानों से जुड़े अहम सवालों को मीडिया में उठाया है, आज़म खान के बाद सूबे में अल्पसंख्यकों के नेता की खाली हुई जगह को वे भरते हुए नज़र आ रहे हैं।
दूसरी ओर लल्लू, जो जमीन की राजनीति से उठे हैं और बिजली पानी के सामान्य लेकिन अहम मुद्दों पर संघर्ष करते रहे हैं, उन्होंने प्रदेश की तमाम राजनीतिक पार्टियों के बीच अपनी एक अलग पहचान कुछ इस तरह बनायी है कि आज की तारीख में यूपी की जनता सपा या बसपा या फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का नाम भले न बता पाये, लेकिन वह अजय कुमार लल्लू को जरूर जानती है।
शाहनवाज़ आलम से जब जेल के अनुभव पूछे गये तो उन्होंने बड़ी सहजता से बताया कि इससे पहले भी वे छात्र जीवन में बीस दिन की जेल काट चुके हैं। उन्होंने कहा, “इस देश में जनता के सवालों पर राजनीति करने वाले अगर जेल जाने से डरने लगे तो राजनीति कैसे होगी। नेताओं को जेल जाना चाहिए। उससे बहुत कुछ बदलता है। लोगों में भरोसा जगता है।”