सोनिया गांधी के #SpeakUpIndia को कांग्रेस के वरिष्ठों ने कैसे बना दिया रस्म अदायगी अभियान


कोविड-19 के आगमन पर प्रधान सेवक के कहे- ‘आपदा में भी अवसर हो सकते  हैं’- को कांग्रेस द्वारा मूलरूप से क्रियान्वित करने का प्रयास 28 मई को ‘स्पीक अप इंडिया’ अभियान के तहत किया गया! इसमें अचरज नहीं करना चाहिए, कि जो प्रश्न 2019 के चुनाव के समय राहुल गांधी ने उठाये थे उन पर कांग्रेसी नेता उस जोश मे नहीं आ सके जो आज सोनिया गांधी द्वारा ‘निर्देशित’ इस अभियान में ट्विटर पर दिखायी दिया! धरातल पर ये कहां कहां अपना कितना प्रभाव बना पाता है वो तो आगे ही तय होगा लेकिन एक बात तय है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को अपना नेता कहते तो हैं लेकिन मानते सोनिया गांधी को हैं! यही कांग्रेस की सबसे बड़ी दिक्कत है।

साठ दिन के लॉकडाउन में कांग्रेस पार्टी एक ज़िम्मेदार और गंभीर विपक्ष की भूमिका निभाने में लगभग विफल रही और आम नागरिकों की कठिनाइयों पर सरकार की नीतियों की असफलता पर कहीं कोई सशक्त विरोध करती भी नज़र नहीं आयी! अकेले राहुल गांधी ने बार-बार सरकार की नीतियों एवं नेतृत्व पर सवाल किये और प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस के अधिकतर दिग्गज नेताओं की ओर से उन्हें समर्थन की आवाजें खामोश ही रहीं! प्रियांका गांधी ने पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की तकलीफ़ के हल के लिए जो प्रयास किये उसका भी कोई सार्थक परिणाम लेने में कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई व अन्य सहयोगी इकाइयों की विफलता ही दिखायी दे रही है!

सोनिया गांधी द्वारा विभिन्न प्रदेशों से अपने घरों को पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की सहायता करने के लिए सरकार द्वारा गरीबों व बेरोजगारों से रेल किराया में छूट की मांग व प्रदेश कांग्रेस समितियों द्वारा उनके किराये का वहन करने के ऐलान से सरकार पर प्रत्यक्ष दबाव साफ दिखायी पड़ा और इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में पुनर्जागरण की एक उम्मीद व हौसला बना! किंतु आज फिर “स्पीक अप इंडिया” अभियान में बजाय सशक्त विरोध कर सरकार को घेरने की केवल एक रस्म अदायगी ही दिखायी दी!

वैसे तो कोविड-19 के भारत में प्रभाव-प्रसार के आरम्भ से ही कांग्रेस एक समग्र पार्टी के रूप में कोई स्पष्ट नीति नहीं बना पायी! 20 मार्च को जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के ऐलान से पहले ही पार्टी के अधिकारिक प्रवक्ता अजय माकन ने प्रेस से परिचर्चा में वर्तमान सरकार को इस महामारी से लड़ने में पूरा समर्थन देने की घोषणा कर दी थी!

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने 8 अप्रैल 2020 को लॉकडाउन बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री के साथ सर्वदलीय बैठक के बाद सार्वजनिक तौर पर कहा था कि कोविड-19 के मुकाबले में विपक्ष केन्द्र के साथ है! उन्होंने कहा था कि “हमारा पहला मकसद मिलकर वायरस के संक्रमण को  रोकना, ज़ड़ से खत्म करना है”!

विपक्ष की भूमिका  सरकार के कार्यों और प्रबंध व्यवस्थाओं पर एक सचेत निगरानी की होनी चाहिए थी जिसको स्वयं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने  ही नगण्य कर दिया! अधीर रंजन चौधरी भी सदन में सरकार से इस महामारी से लड़ने व देश की सुरक्षा की योजनाओं और नीतियों को स्पष्ट रूप से सामने लाने में असफल ही रहे!

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के इस तरह के वक्तव्यों व व्यवहार से जो संदेश और संकेत उत्पन्न हुए उसने कांग्रेस पार्टी में ही भ्रम की स्थिति बना दी, जिसके कारण संकट के ऐसे समय में पार्टी मजबूत विपक्ष की भूमिका से नदारद हो गयी! सारी परिस्थितियों को समझते हुए अंततः सोनिया गांधी ने ही मोर्चा संभाला और सक्रिय हुईं, जिसके तहत “स्पीक अप इंडिया” अभियान को लाया गया!

कांग्रेस के अपने निजी अंतर्द्वंद और महत्वकांक्षाओं के चलते ये अभियान केवल रस्म अदायगी में बदल गया! ट्विटर पर सामने आये विभिन्न वरिष्ठ नेताओं के संदेश और शैली देखिए।

राजस्थान से दोनों बड़े नेताओं का कोई संदेश सामने नहीं आया! हरियाणा प्रदेश में जहां कांग्रेस विगत विधानसभा चुनाव में एक सशक्त विपक्ष के रूप में उभरी थी, वहां भी प्रदेश के नेताओं की अलग-अलग शैली ट्विटर पर सामने आयी! एक समय मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिशनोई, जो स्वयं कभी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते थे, जाने किस मजबूरी में वर्तमान सरकार से प्रार्थना करते हुए ट्विटर पर आये।

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला,जो लगातार तीन बार अपने प्रदेश में चुनाव हारे हुए हैं, इस अवसर को कविता में परिभाषित कर के आत्ममुग्ध हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हूडा अपने दमखम में कायम किसानों की समस्याओं को मुख्य रूप से उठा रहे हैं।

प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा सभी वर्गों को समान महत्व देते हुये सरकार से जवाब मांगने व नकेल कसने की शैली से इतर आग्रह की भाषा का प्रयोग करती नज़र आयीं।


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6 Comments on “सोनिया गांधी के #SpeakUpIndia को कांग्रेस के वरिष्ठों ने कैसे बना दिया रस्म अदायगी अभियान”

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