- संविधान प्रदत्त गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी हो
- ईश्रम पर पंजीकृत श्रमिकों को घोषित किया जाए लाभार्थी
- आयुष्मान कार्ड, आवास, पेंशन, बीमा, रोजगार, शिक्षा की उठी मांग
- 9-10 अगस्त को महापड़ाव, अक्टूबर में राज्य सम्मेलन व हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय
लखनऊ
भीषण महंगाई और भयंकर बेरोजगारी में असंगठित मजदूरों के लिए जीवन जीना बेहद कठिन हो गया है। ऐसे में मजदूरों को राहत देने की जगह सरकार कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारियों से पीछे हट रही है और नए नियम और कानून लाकर मजदूरों पर हमले किए जा रहे हैं। इसलिए देश के 95 प्रतिशत असंगठित मजदूरों को संगठित करना और उनके सामाजिक सुरक्षा का इंतजाम करना आज के दौर के मजदूर आंदोलन का प्रमुख कार्यभार है। इसके लिए प्रदेश के 100 से ज्यादा संगठनों ने एक साथ आकर साझा मंच का निर्माण किया है और सरकार से ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8 करोड़ 30 लाख असंगठित मजदूरों को आयुष्मान कार्ड, आवास, पेंशन, बीमा, मुफ्त शिक्षा व रोजगार की मांग की है।
यह बातें मंगलवार को डीएलसी ऑफिस में आयोजित असंगठित क्षेत्र के साझा मंच के सम्मेलन में श्रमिक नेताओं ने कहीं। सम्मेलन की अध्यक्षता एटक के जिला अध्यक्ष रामेश्वर यादव, एचएमएस के प्रदेश मंत्री एडवोकेट अविनाश पांडे, इंटक के प्रदेश मंत्री संजय राय, सेवा की प्रदेश संगठन मंत्री सीता, कुली यूनियन के अध्यक्ष राम सुरेश यादव, घरेलू कामगार अधिकार मंच की सीमा रावत और निर्माण कामगार यूनियन की ललिता ने की और संचालन भवन निर्माण कामगार यूनियन के प्रदेश महामंत्री प्रमोद पटेल ने किया। सम्मेलन में मांग पत्र बेकरी यूनियन के महामंत्री मोहम्मद नेवाजी ने रखा।
आगामी 3 अगस्त को सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की बैठक के मद्देनजर असंगठित मजदूरों के सवालों पर सम्मेलन के बाद 11 सूत्रीय मांग पत्र अपर श्रमायुक्त लखनऊ के माध्यम से प्रमुख सचिव श्रम व रोजगार को भेजा गया।सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूपी वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21, 39, 41 और 43 भारत के हर नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है। इसी के तहत मजदूरों के बेहतर जीवन और सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इस देश में मजदूरों के लिए बने कानूनों को लागू कराने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। देश की जीडीपी में 45 प्रतिशत योगदान करने वाले असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 95 प्रतिशत मजदूरों के लिए कोई योजना नहीं है। इनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए 2008 में कानून बना, कोरोना काल में मजदूरों की हुई दुर्दशा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ई पोर्टल का निर्माण किया गया, लेकिन आज तक सामाजिक सुरक्षा कानून लागू नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, “सरकार लाभार्थियों की बड़ी बातें करती है। हमने सरकार से कहा है यदि वह ईमानदार है तो ई पोर्टल पर दर्ज पंजीकृत सभी श्रमिकों को लाभार्थी का दर्जा देकर सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ दिया जाए।”
एचएमएस के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर मिश्रा ने ने कहा की देश में ज्यादातर मजदूर दस हजार से कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर हैं और किसी तरह अपने परिवार की जीविका को चलाते हैं। प्रदेश में तो हालत इतनी बुरी है कि पिछले 5 सालों से न्यूनतम मजदूरी का भी वेज रिवीजन नहीं किया गया। परिणामस्वरूप प्रदेश में मजदूरी की दर केंद्र के सापेक्ष बेहद कम है।
इंटक के प्रदेश मंत्री संजय राय ने कहा कि सूचना क्रांति के दौर में श्रमिकों में नए शामिल हुए गिग और प्लेटफार्म वर्कर के लिए कोई नियम कानून नहीं है। राजस्थान सरकार ने इनके लिए कानून बनाया है और उत्तर प्रदेश में भी इस तरह के कानून की जरूरत है।
सेवा की प्रदेश संगठन मंत्री सीता ने कहा कि आईएलओ कन्वेंशन में भारत सरकार द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद घरेलू कामगारों के लिए न तो कानून बनाया गया और न ही बोर्ड का गठन किया गया है। उप्र असंगठित क्षेत्र भवन एवं वन कास्तकार कामगार यूनियन के प्रदेश महामंत्री प्रमोद पटेल ने कहा निर्माण मजदूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और योजनाओं के लाभ में परिवार प्रमाण पत्र देने की नई शर्त से मजदूर लाभ से वंचित हो जायेंगे। प्रदेश में वैसे ही निर्माण मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को विफल कर दिया है।
संयुक्त युवा मोर्चा के केंद्रीय टीम के सदस्य गौरव सिंह ने रोजगार अधिकार कानून बनाने की मांग की और कहा कि निवास से 25 किलोमीटर के अंदर साल भर न्यूनतम मजदूरी पर रोजगार देने की गारंटी सरकार करे। श्रम कानून सलाहकार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद तारिक किदवई ने कहा कि नई श्रम संहिता में काम के घंटे 12 कर दिए हैं जिसके कारण मजदूर आधुनिक गुलामी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होगा। मजदूर किसान मंच के प्रदेश महामंत्री डा. बृज बिहारी ने कहा कि प्रदेश से श्रमिकों का ही पलायन नहीं हो रहा है यहां की पूंजी भी पलायित हो रही है। मनरेगा में बजट घटाकर उसे विफल कर दिया गया है।
सम्मेलन को यूपी वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, एचएमएस के प्रदेश मंत्री अविनाश पांडे, सेवा की सीता, इंटक के प्रदेश मंत्री संजय राय, संयुक्त युवा मोर्चा के गौरव सिंह, श्रम कानून सलाहकार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद तारिक किदवई, मजदूर किसान मंच के प्रदेश महामंत्री डा. बृज बिहारी, सनिर्माण मजदूर फेडरेशन के बलेन्द्र सिंह, आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष बबिता, समाजवादी मजदूर सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राहुल यादव, सहयोग संगठन के विनय त्रिपाठी, असंगठित मजदूर यूनियन के अखिलेश वर्मा, निर्माण कामगार यूनियन की ललिता राजपूत, महिला घरेलू कामगार संघ अध्यक्ष सीमा रावत, ई रिक्शा चालक यूनियन अध्यक्ष मो0 अकरम, प्राइवेट वाहन चालक यूनियन के अध्यक्ष रमेश कश्यप, उत्तर प्रदेश निर्माण मजदूर मोर्चा के नौमी लाल, होम बेस्ड वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष मो0 सलीम व चांद भाई, प्रवासी अधिकार मंच के आलोक पांडे, हरदोई के राधेश्याम कनौजिया ने सम्बोधित किया।
भवदीय
दिनकर कपूर
प्रदेश अध्यक्ष, यूपी वर्कर्स फ्रंट