बदलते दौर में साझी विरासत तथा संवैधानिक एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कैसे सुरक्षित रखा जाए, यह बहुत ही चुनौती एवं जोखिम भरा कार्य है। इस पर बातचीत के लिए स्थानीय समुदाय के साथ एक परिचर्चा का आयोजन राजघाट, वाराणसी में राइज एण्ड एक्ट के तहत किया गया।
वक्ताओं ने कहा कि आज देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। भारत में विभिन्न धर्म और समुदाय के लोग सदियों से आपस में मेल-जोल से रहते आये हैं पर आज इस परम्परा को नकारने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। हमें यदि इस परंपरा को बचाये रखना है तो गरीबों-मज़लूमों की रोजी-रोटी के सवालों के साथ खड़ा होना होगा क्योंकि सही मायने में इन्हीं लोगों ने इसे बचाये रखा है।
शमा परवीन ने कहा कि आज देश में सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों के अनुरूप समाज निर्माण नहीं हो रहा है। ऐसे में संवैधानिक मूल्यों पर आधारित समाज व साझी विरासत को बचाना वक्त की भारी जरूरत है।
मालती देवी ने कहा कि विकास के नाम पर तमाम लोग उजाड़ दिये गये हैं और उनका पुनर्वास भी नहीं किया गया है। सरकार असंवेदनशील है और हमारे पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। इससे तब ही निपटा जा सकता है जब हम में एकजुटता हो।
शारदा देवी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज लोगों को रोजगार की जरूरत है पर इस पर सरकारी मशीनरी मौन है। जो लोग स्मार्ट सिटी के नाम पर उजाड़ दिये गये हैं उनमें से ज्यादातर लोग दर-बदर मारे-मारे फिर रहे हैं। उनका कोई पुरसाहाल नहीं है। हमें उनकी आवाज़ बनना होगा। ये तभी सम्भव है जब जाति-धर्म के झगड़े से हम बाहर निकलेंगे।
कार्यक्रम में आसपास की बस्तियों के तमाम लोग मौजूद रहे। संचालन शमा परवीन और धन्यवाद ज्ञापन इक़बाल अहमद ने किया।
(डॉक्टर आरिफ़ द्वारा जारी|