भारत में कोरोना को आने से सिर्फ और सिर्फ एक ही सूरत में रोका जा सकता था और वो था सभी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेश से आने वाले यात्रियों की ठीक तरह से जाँच करना और यदि कोई बीमार हो तो उसको तुरन्त वहीं क्वारंटाइन करना और उसका वहीं इलाज करना। भारत सरकार कहती है, जनवरी के मध्य से ही उसने एयरपोर्ट पर विदेश से आने वाले यात्रियों की जाँच करना शुरू कर दी थी। आश्चर्य की बात है कि 8 जनवरी से 23 मार्च तक 15 लाख यात्री भारतीय एयरपोर्ट पर उतरे लेकिन एक भी ऐसी खबर नहीं है कि एयरपोर्ट पर हुई जाँच में कोई कोरोना पॉजिटिव यात्री पाया गया हो!
ऐसा क्यों हुआ? एयरपोर्ट पर जाँच के नाम पर किस तरह की खानापूर्ति हुई? आज यह जानना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि हजारों लोग बीमार है,सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गयी है पूरे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है। इस वक्त हम उन दिनों एयरपोर्ट पर हुई बड़ी भारी चूक का ही नतीजा भुगत रहे हैं।
कोरोना की एयरपोर्ट पर हुई जाँच को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पहला बयान 28 जनवरी 2020 को दिया था। यह बयान देश की लगभग सभी बड़ी न्यूज़ वेबसाइट पर मौजूद है।
जनवरी की प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्री कहते हैं कि “हमने तीन तीन एक्सपर्ट की टीम को भेजा है, उन सात शहरों में जहां बड़े एयरपोर्ट हैं। उन एयरपोर्ट पर जो चेकिंग हो रही है उसकी भी क्वालिटी चेक की जा रही है। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया कि सरकार की ओर से अपने सभी हवाईअड्डों पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। भारत ने अपने सात बड़े एयरपोर्ट्स पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की है। जल्द ही 20 एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की जाएगी। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता,चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोचीन एयरपोर्ट्स पर चीन से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। ये ज़ी न्यूज़ की खबर है।
29 जनवरी को नवभारत टाइम्स की खबर की हेडलाइन है- ‘कोलकाता एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनर से पसेंजर्स की हो रही जांच’! “कोलकाता एयरपोर्ट पर बुधवार को कोरोना के संदिग्धों की पहचान के लिए थर्मल स्कैनर लगाये गये हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोलकाता एयरपोर्ट की तस्वीरें ट्वीट कर बताया है कि हाथ से इस्तेमाल किये जाने वाले थर्मल स्कैनर की मदद से चीन से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है।”
29 जनवरी की इस खबर में हैेल्थ डिपार्टमेंट के ट्वीट का फोटो भी संलग्न है। 29 जनवरी के इस ट्वीट पर कुछ ट्विटर यूजर के रिएक्शन बहुत दिलचस्प हैं। एक यूजर प्रणव @pranav96s से PMO को टैग करते हुए लिखते हैं- Considering that there is an incubation period can we not quarantine them for next few days?
दूसरे यूज़र अमित भी PMO को टैग करते हुए लिखते हैं- They need to put under a Quarantine facility for a minimum of 5-10 days and then released…..
साफ है कि एक आम आदमी को स्थिति की गंभीरता पता थी लेकिन सरकार को नहीं पता थी।
अब आप इस सबसे बड़े झोल को समझिए जो इस थर्मल स्कैनर के नाम पर हुआ है। दरअसल थर्मल स्कैनर एक ऐसा डिवाइस है जो शरीर के तापमान को दर्ज कर एक थर्मल इमेज तैयार करता है। इसकी स्क्रीन पर जो इमेज उभरकर आती है उसमें मौजूद अलग-अलग रंग शरीर ही नहीं उसके साथ आसपास की चीजों के तापमान को दर्शाती है। इस डिवाइस पर मौजूद रंगों के अलावा कुछ स्कैनर में बाकायदा शरीर का तापमान भी लिखा हुआ आता है। थर्मल कैमरों में हीट सेंसर लगे रहते हैं, जो किसी भी व्यक्ति के सामने लाये जाने पर उसके शरीर के तापमान के हिसाब से कंप्यूटर पर अलग-अलग कलर पैलेट्स के रूप में चित्रित होते हैं। यह वायरस का पता नहीं लगाता लेकिन शरीर के तापमान में हो रही घट बढ़ को जरूर बता देता है। दुनिया के जितने भी बड़े एयरपोर्ट हैं उनमें ये स्कैनर लगे हुए हैं।
कलकत्ता के ट्वीट में दिख रहा इंस्ट्रूमेंट थर्मल स्कैनर नहीं है। यह एक साधारण सी थर्मल गन है जो 3 से 5 हजार के बीच में आती है जबकि एयरपोर्ट जैसी जगहों पर लगने वाला थर्मल स्कैनर किसी भी कंडीशन में 2 से 4 लाख के बीच का आता है। आप AIRPORTS AUTHORITY OF INDIA की वेबसाइट पर देखिये। आपको ऐसी कोई निविदा नहीं दिख रही है जिसमें इस दौरान थर्मल स्कैनर की खरीद के लिए कम्पनियों को आमंत्रित किया गया हो।
7 फरवरी 2020 को रवीश श्रीवास्तव, अमर उजाला, वाराणसी में खबर देते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बाबतपुर पर हाईटेक थर्मल स्कैनर मशीन लगवाने की तैयारी है। अब तक यह मशीन केवल चेन्नई एयरपोर्ट पर ही लगी है। वाराणसी एयरपोर्ट अथॉरिटी के हवाले से वह लिखते हैं कि अब तक एयरपोर्ट पर जिस मशीन से जांच की जा रही है, वह हैंड डिवाइस है, इससे केवल सामान्य जांच ही हो पा रही है।
यानी सात एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनर की बात बिल्कुल झूठी साबित हो जाती है।
अब इसके बाद अमर उजाला के ही रोहतक ब्यूरो की 7 फरवरी की आप खबर देखिए , शीर्षक है, ‘हवाई अड्डों पर दावा थर्मल स्कैनर का, हकीकत यात्री के स्वयं के स्वास्थ्य घोषणापत्र तक सिमटी’।
“हवाई अड्डों पर दावा किया जा रहा है कि थर्मल स्कैनर से पास होने के बाद ही हर यात्री को बाहर जाने दिया जा रहा है जबकि हकीकत में देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात डॉक्टरों की टीम हर यात्री से उसका महज स्वास्थ्य घोषणापत्र ले रही है।” यह खबर यूएसए से लौटे पीजीआइएमएस के पूर्व निदेशक एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. नित्यानंद के हवाले से लिखी गयी है। वे बता रहे हैं कि कई देशों के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर काफी सख्ती है। यहां थर्मल स्कैनर में सेंसर बता देते हैं कि व्यक्ति को बुखार है या नहीं। इसके अलावा स्वास्थ्य घोषणापत्र में ही यात्री की हिस्ट्री से आकलन किया जाता है कि उसे आइसोलेट करना है या नहीं क्योंकि जुकाम, बुखार, खांसी व सांस लेने में समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। यदि कोई चीन या अन्य प्रभावित देश से आ रहा है तो उसे चार सप्ताह के लिए आइसोलेट करना अनिवार्य हो जाता है।
लेकिन दिल्ली हवाई अड्डे पर आने वाले यात्रियों से पूछा जाता है कि क्या वह चीन से आये हैं या किसी चीनी के संपर्क में आये हैं। उन्हें कफ, खांसी, बुखार व सांस लेने में समस्या तो नहीं है। यदि कोई हां करता है तो उसे निगरानी में रख लिया जाता है लेकिन समस्या से बचने के लिए कुछ लोग यहां झूठ बोल कर बाहर निकल जाते हैं।
13 फरवरी की बीबीसी की खबर में स्वास्थ्य मंत्री 7 नही अपितु देशभर के 21 हवाई अड्डों पर इस प्रकार के आधुनिक थर्मल कैमरा स्कैनर लगाने का दावा करते है…….
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि 13 फरवरी की इस खबर में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जी स्कैनर के बारे में झूठे दावे करने से बाज नही आते। वे इसे कोरोना वायरस की जांच से ही जोड़ देते हैं।
‘डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि शरीर का तापमान अधिक होने पर थर्मल स्कैनर तुरंत इसकी जानकारी दे देता है। थर्मल स्कैनर एक इंफ्रारेड कैमरे की तरह काम करता है। इस स्कैनर के जरिए गुजरने वाले व्यक्ति के शरीर में मौजूद विषाणु इंफ्रारेड तस्वीरों में दिखाई पड़ते हैं, विषाणुओं की संख्या अधिक या खतरनाक स्तर पर होने पर व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है।
13 फरवरी से 29 फरवरी के बीच कोरोना की खबरें मीडिया से गायब हो जाती हैं क्योंकि सब नमस्ते ट्रम्प में बिजी थे।
4 मार्च को एबीपी संवाददाता लखनऊ एयरपोर्ट पर थर्मल गन को कोरोना वायरस जांचने की मशीन बताते हुए मेडिकल ऑफिसर डीके वर्मा से बात करता है। वे हाथ मे थर्मल गन लेकर खड़े हैं। वह संवाददाता का टेम्परेचर भी लेते हैं।
साफ है कि लखनऊ एयरपोर्ट पर कोई थर्मल स्कैनिंग मशीन नहीं थी। सब थर्मल गन को ही स्कैनिंग मशीन बता रहे थे।
भास्कर सूरत एयरपोर्ट की खबर 5 मार्च को देता है कि ‘भास्कर टीम ने खुद मौके पर जाकर यात्रियों की जांच प्रक्रिया देखी। लेकिन, जांच प्रक्रिया के नाम पर मात्र हीटगन से स्कैनिंग की जा रही है।’
5 मार्च को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन फिर से संसद के दोनों सदन में कोरोना वायरस को लेकर बयान देते हैं कि किसी को घबराने जरूरत नहीं है. 21 एयरपोर्ट्स पर विदेश से आने वाले यात्रियों की जांच की जा रही है।
6 मार्च की न्यूज़ 18 की खबर में डॉ. हर्षवर्धन ने थर्मल स्कैनिंग के बारे में बात करते हुए कहा, “इस प्रक्रिया में विदेशों से आ रहे लोगों को हवाईअड्डे पर एक स्कैनर से होकर गुजरना होता है। इस दौरान यदि थर्मल स्कैनर से गुजरने वाले किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्यतः व्यक्ति के तापमान से अधिक पाया जाता है, तो ऐसे संदिग्ध की मेडिकल जांच की जाती है।”
इन सभी खबरों में फोटो तो थर्मल स्कैनर के लगाये जाते हैं लेकिन हकीकत में थर्मल गन लगा कर जांच हो रही होती है। आज तक न्यूज़ चैनल की खबर का आप वीडियो भी ध्यान से देखेंगे तो आप पाएंगे कि मलेशिया के एयरपोर्ट पर लगे थर्मल स्कैनर के विजुअल को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे वह भारत के किसी एयरपोर्ट का वीडियो हो।
बीते महीने की तारीख 12 मार्च आते आते संसद में ये प्रश्न उठने शुरू हो जाते है कि जब एयरपोर्ट पर इतनी कड़ाई से जाँच की जा रही थी तो देश मे इतने सारे कोरोना के केस क्यों आ रहे हैं? 12 मार्च को संसद में इस बात का उत्तर देते हुए डॉ. हर्षवर्धन कहते हैं कि कोरोना पॉजिटिव मिलने का यह मतलब नहीं है कि उसकी स्क्रीनिंग में चूक हुई है। कोई केस पॉजिटिव मिलने का मतलब यह नहीं है कि स्क्रीनिंग में लापरवाही हुई होगी। कई मामलों में रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद भी कोरोना के लक्षण डिवेलप होते हैं। इसके लिए सरकार स्क्रीनिंग के बाद भी संदिग्ध लोगों की लगातार निगरानी कर रही है।
साफ दिख रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर जाँच के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ, महज एक फॉर्म भरवा कर और थर्मल गन से महज तापमान चेक कर कोरोना पॉजिटिव लोगो को जाने दिया गया जो बाहर से यह रोग लेकर आये थे और उसकी वजह से पिछले 35 दिनों से पूरा देश लॉकडाउन कर के बैठा हुआ है। अभी न जाने और कितना लॉकडाउन झेलना पड़ेगा। कुछ लाख अमीर लोगों के पीछे सौ करोड़ गरीब जनता परेशान हो रही है। इसका जिम्मेदार कौन है?