मौसम की मार झेलते हुए महामारी के बीच किसान खेत-खेती-रोटी बचाने के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं, लेकिन केन्द्र सरकार किसानों की आवाज को अनसुना कर रही है, तानाशाही के रास्ते चल रही है। 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरा हो रहे हैं। आंदोलन को तोड़ने-दबाने की केन्द्र सरकार की तमाम कोशिशों-साजिशों का मुकाबला करते हुए किसान प्रतिरोध का नया इतिहास रच रहे हैं।
खेत-खेती-रोटी पर कॉरपोरेट कब्जा करने के लिए लाये गये तीन कृषि कानूनों के पहले से ही जल-जंगल-जमीन को कॉरपोरेटों के हवाले करने के लिए आदिवासियों का खून बहाया जा रहा है। अभी 17 मई को छत्तीसगढ़ में शांतिपूर्ण आंदोलन पर पुलिस फायरिंग में तीन आदिवासी मारे गये हैं।
दूसरी तरफ, आज तक भूमिहीन बहुजनों को भूमि अधिकार हासिल नहीं हुआ जिसकी मार गांव-गांव में दलित-बहुजन झेलते हैं। अभी 19 मई को बिहार के पूर्णिया जिले के बायसी थाना क्षेत्र के खपरा पंचायत के मझुआ गांव में सरकारी जमीन पर बसे महादलितों के घरों को अपराधियों द्वारा उजाड़ा गया है, आगजनी-मारपीट व हत्या हुई है।
26 मई को ही ब्राह्मणवादी-कॉरपोरेटपरस्त मोदी सरकार 7 साल पूरे कर रही है। कोरोना महामारी के दौर में भी मोदी सरकार अवाम की जीवन रक्षा के बजाय जनसंहार का अपराध कर रही है।
बेशक, किसान आंदोलन ने मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक लोकतांत्रिक आंदोलन को ताकत देने और रास्ता दिखाने का काम किया। जरूरी है कि 26 मई को मनुविधान थोपने की कोशिश-साजिश के खिलाफ मुल्क की आजादी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए किसान आंदोलन के साथ ताकत के साथ खड़ा हुआ जाए और ब्राह्मणवादी-कॉरपोरेटपरस्त मोदी सरकार के खिलाफ बहुजन एकजुटता व दावेदारी को बुलंद करते हुए निर्णायक लड़ाई की ओर कदम बढ़ाया जाए।
26 मई को बुद्ध पूर्णिमा भी है। आइए, बहुजन महानायक महात्मा बुद्ध की परम्परा को बुलंद करते हुए हुए इन मांगों के पक्ष में आवाज बुलंद करें-
- तीनों कृषि कानून वापस लो!एमएसपी को कानूनी दर्जा दो!
- आदिवासियों को जंगल-जमीन से बेदखल करने की साजिश बंद करो! बस्तर के आंदोलनरत आदिवासियों की मांगें पूरी करो, पुलिस फायरिंग मामले में न्याय की गारंटी करो!
- दलितों-बहुजनों को भूमि अधिकार दो! बिहार के पूर्णिया जिला के बायसी के मझुआ गांव के महादलितों को न्याय दो!
रिहाई मंच
सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार)
बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार)