किसानों पर चलाए जा रहे वाटर कैनन को बंद करके ट्रैक्टर में छलांग लगाने वाले नवदीप सिंह हरियाणा के अंबाला जिले के जलबेड़ा गांव के रहने वाले हैं. उनकी छलांग लगाने वाली विडियो पूरे दिन सोशल मीडिया पर छाई रही. नवदीप सिंह पिछले तीन साल से भारतीय किसान यूनियन से जुड़े हुए हैं. उनके पिताजी भी भारतीय किसान यूनियन के सक्रिय सदस्य हैं.
कैसे जुड़े किसान यूनियन से
आज से तीन साल पहले जब नवदीप की फसल ओलावृष्टि की चपेट में आ गई थी तो वह इलाके के किसानों के साथ अंबाला कलेक्टर ऑफिस धरना देने पहुंचते हैं और एक लंबे संघर्ष के बाद वे फसल नुकसान का मुआवजा लेने में सफल हो जाते हैं और वहीं से उनका जुड़ाव किसान यूनियन से हो जाता है.
केन्द्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ वह शुरू से ही लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी शुरूआत उन्होंने 20 जुलाई को निकाले गए ट्रैक्टर मार्च से की थी. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर करीब 500 ट्रैक्टरों का मार्च निकाला था और अम्बाला जिले को चारों ओर से घेर लिया था. इसके बाद पिपली में हुए आंदोलन में भी वह सक्रिय भूमिका में थे और उन्होंने अंबाला जिले के नौजवानों को किसान आंदोलन में जोड़ने के लिए दिन रात मेहनत की है.
किसान आंदोलन में सक्रिय रहने का भुगतना पड़ा खामियाजा
नवदीप सिंह को किसान आंदोलन को हवा देने के एवज में हरियाणा सरकार ने झूठे मुकदमों से नवाजा है. उन पर 307 के दो मुकदमे चल रहे हैं. सूबे की खट्टर सरकार ने सिर्फ उन पर ही नहीं, बल्कि पिता और चाचा समेत परिवार के चार जनों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर रखे हैं.
नवदीप नें हमें बताया, ‘सरकार हमें पिछले चार महीने से परेशान कर रही है. पिपली किसान आंदोलन में मैंने पुलिस वालों के 9 बैरिकेड तोड़े थे जिसकी वजह से पुलिस ने मुझ पर 307 के दो केस दर्ज कर रखे हैं. सरकार ने तो मेरे पिता और चाचा को भी नहीं छोड़ा है. इसके अलावा पुलिस हमें गिरफ्तार करने के लिए हमारे घर के भी चक्कर काट रही है, लेकिन किसानों ने अभी तक मेरी गिरफ्तारी नहीं होने दी है.’
नवदीप सिंह के हौंसले बुलंद हैं. जब हमने उनसे पूछा कि इतनी सख्ती के बाद क्या आप दिल्ली तक पहुंच पाएंगे, तो उनका साफ कहना था, ‘किसानों को कोई नहीं रोक सकता. हम लगातार बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ रहे हैं. आगे भी ऐसे ही बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ते रहेंगे. हमारा लक्ष्य दिल्ली पहुंचना है और वह हम पहुंचकर रहेंगे.”