बीते 129 दिन से दिल्ली में चल रहे अनिश्चितकालीन किसान आंदोलन के समर्थन में देश भर में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकाली गई, यात्रा के माध्यम से 3 किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने, सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल और 4 लेबर कोड रद्द करने और केंद्र सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जागरूकता पैदा की गई।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी (गुजरात) से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची। यात्रा के दौरान तथा देश भर से 23 राज्यों की 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी दिल्ली पहुंच चुके हैं।
शहीद भगत सिंह के गांव खटखट कलां, शहीद सुखदेव के गांव नौघरा जिला लुधियाना, उधमसिंह के गांव सुनाम जिला संगरूर,शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाभरा,झाबुआ, मामा बालेश्वर दयाल की समाधि बामनिया, साबरमती आश्रम, सरदार पटेल के निवास, बारदोली किसान आंदोलन स्थल, असम में शिवसागर, पश्चिम बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम, उत्तर दीनाजपुर, कर्नाटक के वसव कल्याण एवम बेलारी, गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव,उत्तर प्रदेश के 75 गांव ,बिहार के 30 गांव,हरियाणा के 60 गांव,पंजाब के 78 गांव,उड़ीसा के नवरंगपुर जिले के ग्राम पापडाहांडी की मिट्टी जहां 1942 में अंग्रेजों ने 19 सत्याग्रहियों की हत्या की थी। संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवम ओडिसा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी,छत्तीसगढ़ के बस्तर के भूमकाल आंदोलन के नेता शहीद गुंडाधुर ग्राम नेतानार, दल्ली राजहरा के शहीद शंकर गुहा नियोगी सहित 12 शहीदों के स्मारक स्थल और धमतरी जिला के नहर सत्याग्रह की धरती कंडेल से मिट्टी,
मुलताई जहां 24 किसानों की गोलीचालन में शहादत हुई, मंदसौर में 6 किसानों की शहादत स्थल की मिट्टी, ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहादत स्थल, छतरपुर के चरणपादुका जहां गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय 21 आंदोलनकारी शहीद हुए उन शहीदों की भूमि की मिट्टी सहित मध्य प्रदेश के 25 जिलों के 50 ग्रामों की मिट्टी लेकर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची।
दिल्ली के नागरिक 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचेंगे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बोर्डरों पर पहुंचेंगी। यात्रा में मेधा पाटकर, प्रफुल्ल सामंतरा, डॉ सुनीलम, शबनम हाशमी, फिरोज मीठीबोरवाला और गुड्डी सहित 7 राज्यों के 50 यात्री शामिल हुए।
कल 5 अप्रैल को शाहजहांपुर बॉर्डर पर 9 से 11 बजे तक, टिकरी बॉर्डर (पकौड़ा चौक), बहादुरगढ़ पर 2 बजे, टिकरी बॉर्डर मेट्रो के पास 4 बजे तथा 6 अप्रैल को गाजीपुर बॉर्डर पर 9 से 11 बजे, सिंघु बॉर्डर पर 2 बजे शहीद स्मारक स्थापित किये जाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव, शाहजहांपुर बॉर्डर पर, टिकरी बॉर्डर पर जोगेंद्र सिंह उग्राहां एवं गुरनाम सिंह चढ़ुनी, गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत, युद्धवीर सिंह, तेजिंदर सिंह विर्क, सिंघु बॉर्डर पर बलबीर सिंह रजेवाल, डॉ दर्शन पाल, जगमोहन सिंह, सतनाम सिंह एवं वरिष्ठ नेताओं सहित देशभर के किसान संगठनों, मज़दूर संगठनों एवम जनसंगठनों के नेता शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी ने मुट्ठी भर नमक उठा कर ब्रिटिश साम्राज्य की ताकत को चुनौती दी थी और उन्होंने लाखों भारतीयों के दिलों को भय से मुक्त करके साहस पैदा कर दिया, जिन्होंने तब अन्यायपूर्ण कानूनों को तोड़ने के लिए लाखों लोगों ने भाग लिया, इस प्रकार 1930 का सविनय-अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। इसी तरह, आज एक मुट्ठी भर मिट्टी भी उसी ताकत का प्रतीक है, जो हमारे अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए शांतिपूर्ण प्रतिरोध का एक ही मूल्य है।
किसानों के संघर्षों का समर्थन करने और अन्यायपूर्ण कानून को रद्द करने की उनकी मांगों के लिए प्रतिबद्ध, विभिन्न लोगों के संगठनों का, मिटटी सत्याग्रह यात्रा एक राष्ट्रीय सामूहिक प्रयास है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी द्वारा किए गए ऐतिहासिक नमक मार्च की घोषणा करते हुए, 12 मार्च से मिट्टी मार्च शुरू हुआ था। जिसमें प्रतिभागी मिट्टी की एक मुट्ठी उठा रहे हैं और भारत के खेतों, नदियों, झीलों और सार्वजनिक क्षेत्र को कॉर्पोरेट के हाथों सौपने से बचने की प्रतिज्ञा करते हैं। मिट्टी प्राकृतिक संसाधनों, खेतों, जंगलों और उन सभी का प्रतीक है, जिनका निजीकरण होने का खतरा है। मिट्टी सत्याग्रह हमारे संविधान में निहित मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, और हमारे लोकतंत्र और देश की रक्षा करता है। ‘मिट्टी सत्याग्रह एक विकेंद्रीकृत आंदोलन है।