कोरोना की तबाही से जागा बनारस, स्वास्थ्य-शिक्षा और आजीविका के मुद्दे पर जन अधिकार यात्रा


कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट बनारस में स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा क्षेत्र को लेकर सामाजिक संस्‍थाओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता काफी बढ़ गयी है। कोरोना के दौरान जो कुप्रबंधन और तबाही खासकर ऑक्‍सीजन की उपलब्‍धता के मामले में बनारस सहित पूरे उत्‍तर प्रदेश में देखने में आयी थी, उसके बाद सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता और संगठन जमीनी स्‍तर पर पौधारोपण, चिकित्‍सा किट वितरण से लेकर जागरूकता अभियान और स्‍वास्‍थ्‍य के अधिकार पर अभियान तक हर स्‍तर पर जुटे हुए हैं।

इसी क्रम में ‘एक देश समान शिक्षा’ अभियान एवं आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गयी सात दिवसीय जन अधिकार चेतना यात्रा का सारनाथ पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर 31 जुलाई को उनके गाँव लमही से प्रारंभ हुई यह यात्रा पूर्वाचल के 10 जिलों में लगभग 650 किलोमीटर की दूरी तय करके 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस पर सारनाथ में भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ सम्पन्न हुई। बुद्ध मंदिर के समक्ष संकल्प लिया गया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, खेती जैसे मुद्दों पर समाज और नीति निर्माताओं को प्रेरित करने के लिए जनांदोलन और तेज किया जाएगा।

इस यात्रा से पहले बनारस से पहली बार स्‍वास्‍थ्‍य का अधिकार बनाए जाने की मांग उठी थी और उसके समर्थन में एक हस्‍ताक्षर अभियान चलाया गया था। यात्रा के समापन पर समाजवादी चिंतक अफलातून ने कहा इस यात्रा के माध्यम से बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अधिकार और खेती किसानी से जुड़े मौलिक सवालों पर जन संवाद स्थापित हुआ जिससे ये सवाल तमाम राजनैतिक पार्टियों और चुनाव में आने वाले प्रत्याशियों तक पहुंचें और वे इसके प्रति संवेदनशील बन सकें।

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यवहारिक रूप से लागू की जाय। कोठारी आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाय। के. जी. से पी. जी. तक उच्चस्तरीय शिक्षा मुफ्त एवं मातृभाषा में उपलब्ध हो।

किसान नेता राम जनम ने कहा कि जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार और खेती किसानी जैसे मुद्दे पर अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं, संभावित प्रत्याशियों तक पहुंचाने और उन्हें इसे लागू करने के लिए अपने स्तर से प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद ने कहा कि फसल बीमा योजना समाप्त कर दी जाय, इसके बजाय प्रत्येक खेत की प्राकृतिक आपदा से हुई हानि की 100 प्रतिशत भरपाई सुनिश्चित हो। सूखा, ओला, पाला, कीट, बाढ़ जैसे सभी कारण शामिल किये जाएं। किसानों की सम्पूर्ण फसल की शासकीय खरीद की गारंटी हो।

यात्रा की शुरुआत पर 31 जुलाई को यात्रा के संयोजक दीन दयाल सिंह ने बताया था कि लमही (वाराणसी) से प्रारंभ होकर यात्रा गाजीपुर, मऊ,  बलिया,  देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, आजमगढ़, जौनपुर होते हुए बनारस पहुंचेगी। इस दौरान यात्रा दल के साथी रास्ते में पड़ने वाले गावों, बस्तियों, कस्बो और शहरों में पर्चे, पोस्टर, स्टीकर, जन गीत, जन संवाद आदि के माध्यम से अपनी चार सूत्रीय मांगों के पक्ष में समर्थन जुटाएंगे। यात्रा में 12 सदस्य शामिल हुए- दीन दयाल, अजय पटेल, महेंद्र राठौर, मनोज कुमार, श्रद्धा पटेल, प्रियंका जायसवाल, अजय पटेल, दिव्या पांडेय, राजकुमार गुप्ता, सुरेश राठौर, अरविंद मूर्ति।

मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि जन अधिकार चेतना यात्रा आम जनता को चैतन्य करने के अपने उद्देश्य में सफल रही है। यात्रा के संयोजक दीन दयाल सिंह कहा कि देश में शिक्षित युवा रोजगार गारंटी कानून की आवश्यकता जिसके तहत हर युवा को उसकी योग्यता के अनुसार सम्मानजनक रोजगार का अवसर मिलना सुनिश्चित हो। हस्तकला उत्पादों एवं खादी को जीएसटी से मुक्त रखा जाय।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि देश में स्वास्थ्य का अधिकार कानून बने, पंचायत स्तर पर अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाएं और इनमें उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ पैथोलोजी जांच की भी सुविधा उपलब्ध हो। पंचायत स्तर पर ग्रामीण एम्बुलेंस सेवा की उपलब्धता भी हो।

गौरतलब है कि जन स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए इससे पहले बनारस में एक हस्‍ताक्षर अभियान चलाया गया था। सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार की ही तरह स्वास्थ्य के अधिकार के समर्थन में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सिंहद्वार पर स्वास्थ्य का अधिकार अभियान के तत्वावधान में हस्ताक्षर अभियान का आयोजन करके इस मांग के पक्ष में समर्थन जुटाया था, जिस मौके पर राष्ट्रपति को संबोधित 12 सूत्रीय ज्ञापन एवं बैनर पर लोगों के हस्ताक्षर लिए गये थे।

अभियान की तरफ से मांग की जा रही है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्ण सरकारीकरण किया जाए एवं स्वास्थ्य का राष्ट्रीय बजट तीन गुना किया जाय। प्रत्येक एक हजार की जनसंख्या पर निश्चित मानदेय पर ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ की नियुक्ति हो जो स्थानीय आशा कार्यकर्त्री और आंगनबाड़ी के साथ मिल कर सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए। तापमान, रक्तचाप, मधुमेह एवं अन्य सामान्य जांच की सुविधा इस स्तर पर सुलभ होनी चाहिए जबकि प्रति बीस हजार की जनसंख्या पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पचास हजार की जनसंख्या पर उच्चीकृत स्वास्थ्य केंद्र एवं एक लाख की जनसंख्या पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होना सुनिश्चित किया जाय जहां विभिन्न प्रकार की आवश्यक जांच सुविधा के साथ ही अन्य सभी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। इसके साथ ही ग्राम पंचायत स्तर पर मातृ शिशु कल्याण केंद्र होना सुनिश्चित हो। ग्रामीण एम्बुलेंस सेवा को और बेहतर और सुलभ बनाया जाय।

अभियान की मांगों में यह भी शामिल है कि प्रदेश और केंद्र स्तर पर स्वतंत्र ‘स्वास्थ्य अधिकार आयोग’ का गठन हो जो सभी स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं से सम्बन्धित शिकायतों पर सुनवाई करे और दोषियों को दंडित करे। आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) का बजट बढाते हुए इसे और व्यापक और सुलभ किया जाए। अभियान के संयोजक वल्लभाचार्य पाण्डेय के अनुसार सभी प्रकार की विकास निधियों जैसे सांसद निधि, विधायक निधि, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम सभा आदि की न्यूनतम 20 प्रतिशत राशि अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं एवं संसाधनों की वृद्धि के लिए व्यय किया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।

जनता के बीच जागरूकता और सहायता कार्यक्रमों की इस श्रृंखला में अगला पड़ाव ऑक्‍सीजन उत्‍सर्जन करने वाले पौधों के रोपण का रहा। पारुल शर्मा एवं 200 स्वीडिश डोनर्स इंटरनेशनल रिसर्च काउंसिल फॉर टॉर्चर विक्टिम के आर्थिक सहयोग से जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति, चाइल्ड राइट्स एंड यू एवं सावित्रीबाई फुले महिला पंचायत के संयुक्त तत्वाधान में नीम, पीपल, आम, अमरुद, नींबू, अनार कुल छ: प्रकार के फलदार एवं आक्सीजन उत्सर्जन करने वाले 350 (साढ़े तीन सौ) पेड़ बड़गांव, हरहुआ, पिंडरा एवं आराजीलाईन ब्लाक के सैकड़ों मुसहर परिवारों को देकर उनका रोपण किया गया।

पोषण स्तर में वृद्धि के उद्देश्य से दलित एवं पिछड़ी जातियों के लगभग 2000 परिवारों को किचन गार्डेन के लिए मौसमी हरी सब्जियों नेनुआ, सेम, कोहड़ा, कद्दू, करेला आदि के बीज उपलब्ध कराया गया। कोरोनाकाल में परिवार की कमजोर अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से जूझने वाले 26 छोटे किसानों को गोभी, बोड़ा, टमाटर आदि के बीज उपलब्ध कराये गए। 

पिछले साल भी 465 परिवारों के बीच किचन गार्डेन से लगभग 8 हजार कुंतल मौसमी हरी सब्जियों का उत्पादन हुआ था जिनका भरपूर उपयोग परिवारों ने अपने खानपान में किया और अपने आसपास के लोगों के साथ सब्जियों को साझा किया था। इस कार्यक्रम में ग्राम प्रधान प्रवीण कुमार सिंह एवं संस्था के पदाधिकारी श्रुति नागवंशी, शिरीन शबाना खान, अनूप श्रीवास्तव, छाया कुमारी, मंगला राजभर, संध्या राव एवं रूबी कुमारी की उपस्थिति प्रमुख रही।

स्वास्थ्य का अधिकार कानून के हस्ताक्षर अभियान में प्रमुख रूप से से डॉ. ओमशंकर, वल्लभाचार्य पाण्डेय, धनञ्जय त्रिपाठी, इन्दू पांडेय, प्रदीप कुमार सिंह, राजकुमार पटेल, महेंद्र राठौर, विनय सिंह, सूरज पाण्डेय, रामजनम भाई चौधरी राजेन्द्र, प्रज्ञा सिंह,दिवाकर, राज अभिषेक, जागृति राही, अजय पटेल, ओम शुक्ला, अनूप श्रमिक, छेदी लाल निराला, मनीष सिन्हा, राहुल, नीरज, शांतनु आदि का योगदान रहा।

जन चेतना अधिकार यात्रा में प्रमुख रूप से डॉ. लेनिन रघुवंशी, नंदलाल मास्टर, मिथलेश, सुरेंद्र सिंह, फादर प्रणय, प्रदीप, सूरज, मनोज राठोर, महेंद्र, हौशिला यादव, प्रियंका, नेहा की सहभागिता रही।



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