लखनऊ, 26 अप्रैल 2020। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में रमज़ान के दौरान अज़ान और सहरी के ऐलान पर जिला प्रशासनों द्वारा लगायी गयी मौखिक रोक का मामला अब काफी आगे बढ़ता नज़र आ रहा है।
जिला ग़ाज़ीपुर से सबसे पहले ख़बर आयी थी कि वहां के डीएम ने बगैर किसी लिखित शासनादेश के इस किस्म के आदेश दिए हैं। इसके बाद कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने अधिकारियों से बात कर के मामले को उठाया था।
इसका नतीजा यह रहा कि शनिवार की दोपहर में मुस्लिम समाज के साथ बैठक के बाद डीएम ओम प्रकाश आर्य ने सेहरी और अफ्तार के वक़्त मस्जिद से माइक द्वारा ऐलान की बात मान ली थी, लेकिन शाम होते-होते वो फिर अपने वादे से मुकर गए और पुलिस जगह-जगह जाकर माइक से अज़ान न देने की धमकी देने लगी।
इस सिलसिले में आज प्रशासन की एक अहम बैठक होने जा रही है। शाहनवाज़ आलम का कहना है कि प्रशासन का अपने वादे से पलटना यह साबित करता है कि ग़ाज़ीपुर डीएम क़ानून के बजाय स्थानीय भाजपा और संघी नेताओं के दबाव में काम कर रहे हैं जो ओहदे के लिए शर्मनाक है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि ग़ाज़ीपुर डीएम की स्थानीय भाजपा नेताओं के आगे निरीहता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि ज़िले के एसपी ओम प्रकाश सिंह मीडिया में माइक से अज़ान न होने देने के किसी भी आदेश से ही इनकार कर ख़ुद डीएम ओम प्रकाश आर्य को झूठा साबित कर रहे हैं और डीएम सवाल पूछने वाले पत्रकारों का फ़ोन नहीं उठा रहे हैं। यह साबित करता है कि उनके पास अपने सनक पर उठने वाले सवालों का जवाब नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर में गाज़ीपुर के एसपी ने साफ़ इनकार किया है कि इस तरह का आदेश जारी हुआ है, लेकिन ख़बर यह भी कहती है कि इस मामले में जिलाधिकारी से बात नहीं हो सकी। यह दिखाता है कि जिलाधिकारी मीडिया को जवाब देने से बच रहे हैं।
बैठक से पहले आलम ने डीएम ग़ाज़ीपुर से अपील की है कि स्थानीय भाजपा नेताओं के दबाव में आने के बजाय साहस का परिचय दें और जिस तरह प्रदेश भर में अज़ान हो रहे हैं उसी तरह ग़ाज़ीपुर में भी होने दें।