खेत मजदूरों के हालात और संघर्ष: AITUC का ताज़ा वेबिनार


“भारत के मेहनतकश तबके के संघर्ष”

29 नवम्बर 2020, रविवार
शाम 5 से 7:30
वेबिनार का विषय: खेत मजदूरों के हालात और संघर्ष

जोशी-अधिकारी इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज (जैस), दिल्ली द्वारा भारत में श्रमिक संघर्षों पर केंद्रित वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। यह वेबिनार श्रृंखला की छठवीं कड़ी है।

मुख्य वक्ता:
26 नवंबर, 2020 की आम हड़ताल पर विशेष सत्र: कॉमरेड अमरजीत कौर, (राष्ट्रीय महासचिव, एटक)

बिहार के खेत मज़दूर:
कॉमरेड धीरेन्द्र झा (राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय खेतिहर और ग्रामीण मज़दूर सभा)

पंजाब के स्थानीय और प्रवासी खेत मज़दूर:
कॉमरेड गुलजार गोरिया (राष्ट्रीय महासचिव, भारतीय खेत मज़दूर यूनियन)

उत्तर प्रदेश के दलित महिला मज़दूर:
कॉमरेड सुनीला रावत, (राज्य नेत्री, मज़दूर किसान मंच, उत्तर प्रदेश)

महाराष्ट्र में गन्ना उद्योग में संलग्न खेत मज़दूर:
कॉमरेड राजन क्षीरसागर (कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय खेत मज़दूर यूनियन, महाराष्ट्र)

तमिलनाडु में कावेरी डेल्टा के ग्रामीण मज़दूर:
कॉमरेड वहीदा निज़ाम (राष्ट्रीय सचिव, एटक)

फेसबुक लिंक:Joshi-Adhikari Institute of Social Studies

http://www.facebook.com/Joshi-Adhikari-Institute-of-Social-Studies-1634101010199082/

सम्पर्क: विनीत तिवारी (9893192740)
तकनीकी सहायता के लिए सम्पर्क: विवेक मेहता (9893652327)


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

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