राजनीति या लोकनीति? विनोबा के जन्‍मदिवस पर याद रखने लायक कुछ सबक

लोकनीति के बिना लोकतंत्र ठहर नहीं सकता है और न ही लोकसत्ता चरितार्थ हो सकती है। किसी भी समाज व राष्ट्र के नागरिकों के चरित्र का आधार ही लोकनीति है।

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