क्या कोविड-19 का अंतराल अध्यापकों के लिए नया अंधेरा लेकर आया है?

चुनाव में तैनात शिक्षकों के प्रशिक्षण से लेकर चुनाव किस तरह संपन्न कराए गए, अगर किसी ने इन्हें देखा होता तो वह बता सकता है कि राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों ने इन चुनावों के दौरान कितनी लापरवाही एवं बेरुखी का परिचय दिया।

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कोरोना मृत्यु के आंकड़े छुपा रही योगी सरकार: दारापुरी

सरकार महज उत्सव मनाने और अखबारी विज्ञापनों में ही दमदार होने का दावा पेश कर रही है। हालत इतनी बुरी है कि मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए घंटों एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो रही है और कईयों ने तो एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया।

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IPF कार्यकर्ताओं ने ‘दमन विरोधी दिवस’ पर दर्ज किया प्रतिवाद

कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति महोदय को पत्र भेजकर तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल खरीद के लिए कानून बनाने, यूएपीए, एनएसए, देशद्रोह जैसे काले कानूनों को खत्म करने, आंदोलन में गिरफ्तार सभी किसानों को बिना शर्त रिहा करने, किसान नेताओं पर लगाए सभी मुकदमें वापस लेने, राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले पर रोक लगाने और असहमति के अधिकार की रक्षा करने जैसी मांगों को प्रमुखता से उठाया।

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BDC मोहम्मद आलम के हत्या के दोषियों के खिलाफ सरकार करे सख्त कार्रवाई: रिहाई मंच

आलम जुमे को ध्यान में रखते हुए बाजार गए और वहां से जब वे अपनी एक्टिवा गाड़ी चार पहिया वाली जो विकलांगों के लिए होती है उससे लौट रहे थे तो रास्ते में कुछ लोगों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. वे बताते हैं कि बनकट बाजार से ही उनका पीछा वे लोग कर रहे थे.

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तीनों काले कृषि कानून श्रमजीवी किसानों की MSP और मंडी को खत्म करने वाले हैं: प्रियंका गांधी

इस देश को किसान ने बनाया है। 78 दिनों से किसान दिल्ली बार्डर पर बैठा है। मेादी जी अमरीका हो आये, पाकिस्तान हो आये, चीन हो आये, लेकिन जिस शहर में रहते हैं उसके बार्डर तक नहीं पहुं पाये। 78 दिनों से किसान उनका इंतजार कर रहे हैं कि जिनको हमने वोट दिया, जिनको हमने सत्ता दी, जिनको हमने प्रधानमंत्री बनाया, वह हमारी बात सुनेंगे, वह हमारे पास आयेंगे। लेकिन वह नहीं आये, उल्टा संसद में खड़े होकर उन्होने मजाक उड़ाया। उनके मंत्रियों ने अपशब्द बोले। जो 215 किसान शहीद हुए हैं उनका आदर नहीं किया। उनका अपमान किया।

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इलाहाबाद हाइ कोर्ट का आदेश दिखाता है कि UP सरकार ने प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन किया: NAPM

न्यायालय का यह आदेश यह स्थापित करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को 26 जनवरी के प्रदर्शन में जाने से रोकने के लिए 19 जनवरी और उसके बाद जारी किये गए आदेश कितने निरर्थक और प्राकृतिक न्याय के सूत्रों का उल्लंघन करने वाले थे.

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भारत आपसी प्रेम, भाईचारा और सौहार्द की गौरवशाली परम्परा का देश है: डॉ. आरिफ

असंगठित खेत्र अथवा भवन निर्माण में लगे मजदूरो, खेती किसानी के कार्य में लगे भूमिहीन किसान व खेतिहर मजदूरों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अति आवश्यक है वर्तमान दौर में कार्पोरेट घरानों के दबाव में इस व्यवस्था पर अस्तित्व का संकट आसन्न है,

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सुरक्षित सड़क की जो परिभाषा बाज़ार हमें समझाता है वैसी सड़कें सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं

दुनिया में मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से 10वें नंबर पर है सड़क दुर्घटना, जिसके कारणवश 13 लाख से अधिक लोग हर साल मृत होते हैं और 5 करोड़ से अधिक लोग ज़ख़्मी होते हैं, या शारीरिक/ मानसिक विकृति के साथ जीने को मजबूर होते हैं. सार्वजनक आवागमन या परिवहन ज़रूरी है और मौलिक अधिकार है, पर इसकी कीमत हमें अपने हाथ-पैर तुड़वा के या जान गवां के देने की क्या ज़रूरत है?

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कृषि कानूनों की वापसी के लिए IPF कार्यकर्ताओं ने PM को भेजा ज्ञापन

केन्द्र की मोदी सरकार इन कानूनों के बारे में लगातार देश को गुमराह कर रही है कि इनमें काला क्या है। जबकि सभी लोग बखूबी जानते है कि ये कानून देशी विदेशी कारपोरेट घरानों के लाभ के लिए ही बनाए गए है और इनसे हमारी देश की आर्थिक सम्प्रभुता तहस नहस हो जायेगी और खेती किसानी बर्बाद हो जायेगी।

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किसान आंदोलन के समर्थन में IPF कार्यकर्ताओं ने किया उपवास

आज गांव-गांव कार्यकताओं ने आरएसएस-भाजपा सरकार द्वारा किसानों की हो रही घेराबंदी व किसान आंदोलन के दमन, हमले व दुष्प्रचार करने की कड़ी आलोचना करते हुए सरकार से तत्काल तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने व किसानों की उपज की खरीद व भुगतान और किसान आंदोलन के नेताओं पर लगाए सभी मुकदमें वापस लेने की पुरजोर मांग की।

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