शिक्षा और विश्वविद्यालयों को समावेशी बनाना होगा

शिक्षक का कार्य केवल विद्यालय में सीमित नहीं है। उसका व्यापक सामाजिक कर्तव्य है — समाज में नैतिकता, संवेदनशीलता और विवेक को बनाए रखना। यदि शिक्षक अपने सामाजिक दायित्वों को पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से निभाए, तो न केवल शिक्षा व्यवस्था सशक्त होगी, बल्कि समाज भी स्वस्थ, समतामूलक और उन्नतिशील बनेगा।

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