किसान आंदोलन में गतिरोध: अड़ियल रवैया किसानों का या सरकार का?

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का आदेश जो भी हो लेकिन किसान संगठनों और सरकार के बीच एक टेबल पर बातचीत तो हो रही है लेकिन कायदे से देखें तो बातचीत में दोनों ओर से सिर्फ अपनी अपनी ही बात कही जा रही रही है। ना सरकार किसानों की बात मान रही और ना ही किसान सरकार की बात मान रहे हैं।

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किसानों को फिर अगली तारीख मिली, परेड को लेकर आंदोलन में उभरे मतभेद

सरकार की तरफ से ऐसे संकेत आए हैं कि यदि आज किसान संगठनों के साथ बातचीत में कोई रास्‍ता नहीं निकलता तो संभवत: यह आखिरी बैठक हो क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट की गठित की हुई कमेटी की पहली बैठक चार दिन बाद 19 जनवरी को है जबकि सरकार की तात्‍कालिक प्राथमिकता 26 जनवरी को किसानों को समानांतर परेड करने से रोकने की है।

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किसान आंदोलन: ‘मरेंगे या जीतेंगे’ तो ठीक, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या करेंगे?

वार्ता समाप्त होने के तुरंत बाद किसान नेता डॉ. सुनीलम ने जनपथ से फोन पर बातचीत में कहा कि इस वार्ता को भी सरकार ने ही विफल किया है, किसानों ने नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा।

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किसान आंदोलन: आज बेनतीजा वार्ताओं की एक और तारीख, लेकिन उसके बाद क्या?

तारीख पर तारीख की रणनीति न तो सिख दक्षिणपंथि‍यों को समझ आ रही है, न वाम धड़ों को। इससे आंदोलन के भीतर बेचैनी है। यह बेचैनी आज की वार्ता के बाद क्‍या शक्‍ल लेगी, कहना मुश्किल है।

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8 जनवरी की अगली तारीख के साथ बैठक खत्म, किसानों को कानून वापसी से कम कुछ मंजूर नहीं

विवादित कृषि कानूनों पर आज सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा समाप्त हो गयी और 8 जनवरी अगली तारीख पड़ी है। तारीख पर तारीख का …

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बैकफुट पर सरकार: दो मांगें मानी, दो पर नये साल में चर्चा, आज की ट्रैक्टर रैली स्थगित

बैठक के बाद कृषि मंत्री ने कहा है कि सरकार कह रही है कि एमएसपी लागू रहेगा और सरकार लिखित में भी देने को तैयार हैं, किंतु किसान यूनियन के नेता एमएसपी पर क़ानूनी मोहर चाहते हैं इसलिए इस पर और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए चार जनवरी दोपहर 2 बजे अगली बैठक होगी.

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कृषि मंत्री का बयान, कि ”प्रधानमंत्री दबाव में नहीं आते”, वार्ता को विफल करने के लिए दिया गया है: AIKSCC

एआईकेएससीसी ने कहा है कि रक्षा मंत्री का आज यह पुनः बयान देना कि सरकारी खरीद पर किसानों को विश्वास करना चाहिए, लिखित कानून के विपरीत है। कानून में साफ लिखा है कि सरकार एग्री बिजनेस को बढ़ावा देगी और रेट आनलाइन व्यापार से तय होंगे। इसका अर्थ है कि एग्री बिजनेस को अच्छा रेट मिलेगा, किसानों को नहीं।

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तेजी से बढ़ रहा है किसान आंदोलन का राष्ट्रव्यापी आधार

पूरे देश की नज़र कल 30 दिसंबर को 2 बजे विज्ञान भवन में भारत सरकार और 40 किसान संगठनों के बीच बातचीत पर टिकी हुई है ।पहले भी 5 वार्ताएं …

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‘मुर्गी बैठे रही, अंडा नहीं दिया’: अब सरकार के प्रस्‍ताव पर कल होगी अगली बातचीत, आज वाली रद्द

कायदे से छठे दौर की बैठक का दिन आज तय था, लेकिन जाने किस जल्‍दबाज़ी और उम्‍मीद में गृहमंत्री ने बैठक एक दिन पहले बुलवा ली। बेनतीजा रहने के बाद उन्‍होंने पहले से तय आज की बैठक को रद्द करते हुए कहा कि किसान संगठनों को सरकार एक प्रस्‍ताव लिखित में भेजेगी। उसके बाद उक्‍त प्रस्‍ताव पर बैठक गुरुवार को होगी।

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तारीख पर तारीख: किसान-सरकार वार्ता वहीं की वहीं, दो दिन बाद फिर मिलेंगे

लगातार सात घंटे तक चली किसान संगठनों के नुमाइंदों और कृषि मंत्री की वार्ता आज भी बेनतीजा समाप्‍त हो गयी और अगली तारीख दे दी गयी। दोनों पक्ष अब परसों यानी 5 दिसम्‍बर को फिर बैठेंगे। उस दिन किसान संगठनों ने देश भर में कृषि कानूनों का पुतला फूंकने का आह्वान किया है।

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