हम रॉलेट एक्ट के जमाने में चले गए जहां वकील, अपील, दलील की बात करना ही बेमानी- रिहाई मंच
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, प्रोफेसर अपूर्वानंद जैसे देश के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों पर हो रही कार्रवाइयां बताती हैं कि संविधान-लोकतंत्र पर बात करना भी अब गुनाह हो गया है.
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