नदी पुत्र: ऐतिहासिक बदलाव की रोशनी में नदियों और उनकी संतानों की दास्तान

इसके एक ब्लर्ब में शेखर पाठक ने ठीक ही लिखा है कि यह किताब स्रोतों की व्याख्या और शोधविधि के लिहाज से इतिहास लेखन में एक हस्तक्षेप है। इसमें पाठ, मानवविज्ञान और अभिलेखीय सामग्री का मोहक समन्वय है।

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