प्रशांत भूषण को सज़ा लोकतंत्र के लिए अशुभ: AIPF
इसके खिलाफ आज सोनभद्र, चंदौली, गोण्डा, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, इलाहाबाद, आगरा समेत कई जगहों पर आइपीएफ ने विरोध किया। सोनभद्र में तो गांव स्तर तक इस फैसले का प्रतिवाद शुरू हो गया है।
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इसके खिलाफ आज सोनभद्र, चंदौली, गोण्डा, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, इलाहाबाद, आगरा समेत कई जगहों पर आइपीएफ ने विरोध किया। सोनभद्र में तो गांव स्तर तक इस फैसले का प्रतिवाद शुरू हो गया है।
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इस वक्तव्य में उन्होंने कहा है कि तहलका को दिए इंटरव्यू में उन्होंने भ्रष्टाचार शब्द का प्रयोग व्यापक संदर्भों में किया था, किसी आर्थिक संदर्भ में नहीं। यदि इसके प्रयोग से किसी को भी या उनके परिवार को दुख पहुंचा है तो वे उस पर खेद जताते हैं। उन्हें खेद है कि उनके इंटरव्यू को गलत तरीके से समझा गया।
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लोकतंत्र के क्षरण पर प्रशांत भूषण का यह हलफ़नामा अपने आप में समकालीन राजनीति, समाज और न्यायपालिका पर एक गम्भीर टिप्पणी और दस्तावेज़ी प्रतिक्रिया है जिसे पूरा पढ़ा जाना चाहिए। जनपथ के पाठकों के लिए यह हलफ़नामा हम पूरा प्रकाशित कर रहे हैं।
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वक्तव्य के अंत में कहा गया है न्याय और निष्पक्षता के हक में सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को कायम रखने के लिए हम सभी हस्ताक्षरकर्ता कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और प्रशांत भूषण के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गयी आपराधिक अवमानना की कार्यवाही को जल्द से जल्द वापस ले।
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