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शैक्षिक सिद्धांतों के आलोक में ‘छोकरी-टोकरी’ का गैर-जरूरी विवाद
कविता की समीक्षा शैक्षिक सिद्धांतों की मौलिकता के आधार पर ही होनी चाहिए, जिनको मैंने ऊपर वर्णित और रेखांकित किया है। इन्हीं आधारों पर इसकी विषयवस्तु में कई एक जगह मुझे विचलन देखने को मिला है, जिसमें सुधार की गुंजाइश बनती है हालाँकि विवाद का दूसरा अंश मुझे ग़ैरज़रूरी जान पड़ता है।
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