पंचतत्व: आदिगंगा को निगल गया कोलकाता का फैलता शहर
कोलकाता में कालीघाट के पास से एक गंदा नाला बहता है. यह नाला नहीं, स्थानीय लोगों के मुताबिक असली गंगा है. आदिगंगा नाम की इस नदी को शहर ने बिसरा दिया, पर परंपराओं में यह अब भी मौजूद है
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कोलकाता में कालीघाट के पास से एक गंदा नाला बहता है. यह नाला नहीं, स्थानीय लोगों के मुताबिक असली गंगा है. आदिगंगा नाम की इस नदी को शहर ने बिसरा दिया, पर परंपराओं में यह अब भी मौजूद है
Read Moreलगातार होते रेत खनन, नदियों के पास ताबड़तोड़ कथित विकास परियोजनाओं और बांध बनाये जाने और इसके जलागम क्षेत्र में जंगल की अबाध कटाई ने नर्मदा को बहुत बीमार बना दिया है. गर्मियों में नर्मदा का जलस्तर तो इतना गिर गया था कि कोई पांव-पैदल भी नदी को पार कर सकता था. इस नदी को नदी-जोड़ परियोजना ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है
Read Moreछोटी सरयू का जी जाना यह यकीन दिलाता है कि जो समाज अपनी विरासतों को संभालकर रखना चाहता है, जिसके लिए नदी की पूजा कर्मकांड नहीं है, असल में वही समाज जीवित है.
Read Moreऑस्ट्रेलिया ने ऊंटों के सामूहिक क़त्ल के पीछे अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करने को भी वजह बताया था. पर क्या यह वाक़ई तार्किक है या बहाना है? यह धरती महज इंसानों की है? या दूसरे जीवों का भी इस पर हक़ है?
Read Moreआपने सोचा भी नहीं होगा कि आपके स्मार्टफोन या कंप्यूटर की वजह से मैदानी भारत की एक अहम नदी रामगंगा की सांसे थम रही हैं? मुरादाबाद में देश भर का जमा हो रहा ई-कचरा है रामगंगा नदी में भारी धातुओं के प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह और आम लोगों में कैंसर का बड़ा कारण
Read Moreजुलाई, 2014 से जून 2020 के बीच मंत्रालय को पर्यावरणीय मंजूरी के लिए कुल 2,592 प्रस्ताव मिले और सरकार ने इनमें से 2,556 को मंजूरी दे दी. 2015 के बाद से 409 वर्ग किमी जंगल विभिन्न परियोजनाओं के वास्ते आवंटित किया जा चुका है.
Read Moreविदर्भ में ताप बिजलीघरों को पानी देने पर एक रिपोर्ट गैर-सरकारी संगठन ग्रीनपीस ने भी दी है. संस्था के मुताबिक, 2003 से 2011 के बीच 3988.7 करोड़ क्यू. मी. पानी तापबिजली घरों की दी जा चुकी है और इससे करीबन 79,774 हे. खेतों को सींचा जा सकता था. विदर्भ में आत्महत्याओं के सिलसिले को कृषि समस्या और सिंचाई की कमी से जोड़ा जाता रहा है. खासकर जिन जिलों में किसान आत्महत्याएं अधिक संजीदा रुख अख्तियार किए हुए है वहां कोयला आधारित ताप बिजलीघरों को मंजूरी देना अतार्किक सा लगता है.
Read Moreभारत में तकरीबन 18,000 वनस्पतियों, 30 स्तनधारियों, चार परिंदों, 300 मीठे पानी की मछलियों और 1100 ऑर्थोपॉड की नस्लें बाहरी हैं. इनमें से ज्यादातर स्थानीय जैव-विविधता को तेजी से खत्म करती हैं. इनसे देश की अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर पड़ रहा है.
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