आंदोलन उम्मीद जगाता है कि बैलों की तरह मनुष्य खेती से चुपचाप बेदखल नहीं किए जा सकते!

आंदोलन उम्मीदें जगाते हैं, मनुष्यों की चेतना का परिष्कार करते हैं। किसान आंदोलन भी उम्मीदें जगा रहा है, चेतनाओं का परिष्कार कर रहा है। तभी तो, बेरोजगारों के मानस में भी उथल-पुथल के संकेत नजर आने लगे हैं, छात्रों का जुड़ाव भी आंदोलित किसानों से होता जा रहा है, कामगारों के बीच भी हलचल मच रही है।

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