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“घुमन्तू जातियों का दर्द समझने की क्षमता इस देश ने खो दी है”: गणेश एन. देवी का व्याख्यान
हमारा पिछले अस्सी साल का इतिहास अगर हमें दिखाई देता है और हमारे सीने में अगर कलेजा है तो शर्म से हमें अपनी गर्दन झुका लेनी चाहिए। जय हिंद बोलना चाहता हूं लेकिन अगर हमारे देश में घुमंतू समुदायों को इज्जत मिले, तो और गर्व से जय हिंद बोल पाऊंगा।
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