दक्षिणावर्त: आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास…
हमने ऐसा महान देश बनाया है, जहां हरेक वह आदमी वह काम जरूर ‘नहीं’ कर रहा है, जिसके लिए उसे तनख्वाह दी जाती है, जिसकी उससे अपेक्षा है। हां, वह हरेक वह काम जरूर कर रहा है, जो किसी दूसरे के क्षेत्र का है औऱ जिसमें उसकी कोई विशेषज्ञता नहीं है।
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